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पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/५०

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अनुलेपन अनुलेपन- संज्ञा पुं० १. लेपन । २. बटन करना । बटना लगाना। ३. लीपना ! अनुलोम-संज्ञा पुं० १. ऊँचे से नीचे की ओर आने का क्रम । उतार का सिलसिला । २. संगीत में सुरों का उतार । अवरोही । अनुलोम विवाह - संज्ञा पुं० उच्च वर्ण के पुरुष का अपने से किसी नीच वर्ण की स्त्री के साथ विवाह । अनुवाद - संज्ञा पुं० १. पुनरुक्ति । २. भाषांतर | उल्था । अनुवादक-संज्ञा पुं० अनुवाद या भाषां तर करनेवाला | उल्था करनेवाला । अनुवादित - वि० अनुवाद किया हुआ । अनुशासक -संज्ञा पुं० १. श्राज्ञा या आदेश देनेवाला । २. शिक्षक । ३. देश या राज्य का प्रबंध करनेवाला । अनुशासन -संज्ञा पुं० १. आज्ञा । २. उपदेश । शिक्षा | अनुशीलन - संज्ञा पुं० १. चिंतन | मनन । २. अभ्यास । अनुषंग-संज्ञा पुं० [वि० आनुषंगिक ] १. करुणा । दया । २. संबंध | लगाव | प्रसंग | अनुष्टुप - संज्ञा पुं० ३२ अक्षरों का एक वर्ण छंद श्रनुष्ठान - संज्ञा पुं० १. कार्य का आरंभ। २. फल के निमित्त किसी देवता की आराधना । अनुसंधान-संज्ञा पुं० [सं० ] खोज। हूँ | तहकीकात | अनुसरण - संज्ञा पुं० पीछे या साथ चलना । अनुसार - वि० [सं०] अनुकूल । समान । ४२ अनेरा अनुस्वार - संज्ञा पुं० १. स्वर के पीछे उच्चारण होनेवाला एक अनुनासिक वर्ण, जिसका चिह्न ( ) है । २. स्वर के ऊपर की बिंदी | अनुहरत - वि० १. अनुसार । अनु- रूप । २. उपयुक्त | योग्य | अनुहार - वि० [सं०] १. समान । २. अनुसार । धनुकूल । संज्ञा स्त्री० १. भेद | प्रकार । २. मुखानी । ३. सादृश्य । अनुहारना - क्रि० स० तुल्य करना । समान करना । अनुहारी - वि० [स्त्री० अनुहारिणी] अनु- करण या नकल करनेवाला । अनूठा - वि० [स्त्री० अनूठी ] १ श्रनाखा । २ श्रा । बढ़िया । अनूढ़ा -संज्ञा स्त्री० वह बिना व्याही स्त्री जो किसी पुरुष से प्रेम रखती हो । अनूदित - वि० १. कहा हुआ । किया हुआ । २ तर्जुमा किया हुआ । अनूप - वि० १. जिसकी उपमा न हो । २. सुंदर । अनृत-संज्ञा पुं० मिथ्या । असत्य । अनेक - वि० एक से अधिक । बहुत । अनेरा - वि० [स्त्री० अनेरी ] १. झूठ । २. झूठा । ३. अन्यायी । ४. निकम्मा । क्रि० वि० व्यर्थ । फजुल । अनैक्य-संज्ञा पुं० एका न होना । मत- भेद । अनैस -संज्ञा पुं० बुराई । वि० बुरा | खराब । अनैसा - वि० [हिं० अनैस ] [स्त्री० नैसी ] अप्रिय । अनैसे- क्रि० वि० बुरे भाव से । अनोखा - वि० [ खो० अनोखी ] अनूठा । बिराला । विलक्षण ।