________________
अर्शी २. कमाया हुआ । अर्जी - संज्ञा स्त्री० प्रार्थना-पत्र । अर्जीदावा- संज्ञा पुं० वह निवेदन- पत्र जो अदालत में दिया जाय । अर्जुन -संज्ञा पुं० १. एक बड़ा वृक्ष । काहू । २. पांच पांडवों में से मँझले का नाम । ३. सहस्रार्जुन । अर्ण-संज्ञा पुं० वर्ण । अक्षर । जैसे— पंचार्य = पंचाक्षर | अर्णव -संज्ञा पुं० १. समुद्र । २. सूर्य । अर्थ-संज्ञा पुं० [वि० अर्थी] १. मानी । २. अभिप्राय । मतलब । ३. धन | संपत्ति । अर्थकर - वि० पुं० [स्त्री० श्रर्थकरी ] जिससे धन उपार्जन किया जाय । श्रर्थदंड - संज्ञा पुं० जुर्माना । अर्थपति-संज्ञा पुं० १. कुबेर । २. राजा । २. राज्य अर्थमंत्री संज्ञा पुं० दे० " अर्थसचित्र " । अर्थवेद-संज्ञा पुं० शिल्प- शास्त्र । अर्थशास्त्र - संज्ञा पुं० १. वह शास्त्र जिसमें अर्थ की प्राप्ति, रक्षा और वृद्धि का विधान हो । के प्रबंध, वृद्धि, रक्षा श्रादि की विद्या । अर्थसचिव-संज्ञा पुं० वह मंत्री जो राज्य के आर्थिक विषयों की देख- रेख करे | अर्थात् श्रव्य ० यानी । यह कि । मतलब अर्थाना - क्रि० स० [सं० अर्थ ] अर्थालंकार - संज्ञा पुं० वह अलंकार जिसमें अर्थ का चमत्कार दिखाया जाय । अर्थी- - वि० [स्त्री० अर्थिनी ] इच्छा ५८ अर्मक रखनेवाला । चाहनेवाला । संज्ञा पुं० १. वादी । मुद्दई । २. सेवक । ३. धनी । संज्ञा स्त्री० दे० "अरथी" । श्रर्दन -संला पुं० पीड़न । अर्दनाः- क्रि० स० पीड़ित करना । श्रर्द्ध - वि० श्राधा । श्रर्द्धचंद्र - संज्ञा पुं० १. श्राधा चाँद । २. चंद्रिका । ३. गरदनिया । निकाल बाहर करने के लिये गले में हाथ लगाने की मुद्रा | ४. सानुनासिक का एक चिह्न । श्रद्धनारीश्वर - संज्ञा पुं० तंत्र में शिव और पार्वती का सम्मिलित रूप । श्रर्द्धमागधी - संज्ञा श्री० प्राकृत का एक भेद । काशी और मथुरा के बीच के देश की पुरानी भाषा । श्रद्धग-संज्ञा पुं० १. श्राधा अंग । २. लकवा रोग जिसमें श्राधा श्रंग कम हो जाता है । श्रद्धांगिनी - संज्ञा स्त्री० स्त्री । पत्नी । श्रद्धांगी - संज्ञा पुं० शिव । वि० श्रद्धांग - रोग ग्रस्त । अर्द्धाली-संज्ञा स्त्री० श्राधी चौपाई | पाई की दो पंक्तियाँ । अर्धगी - संज्ञा पुं० दे० "अर्द्धांगी” । अर्पण-सञ्ज्ञा पुं० [वि० अर्पित ] १. देना । दान । २. नज़र । भेंट । ३. स्थापन | अर्पना - क्रि० स० दे० " अपना " । अर्बुद -संज्ञा पुं० १. गणित में नर्वे स्थान की संख्या । दश कोटि । २. अरावली पहाड़ | अर्भक - वि० पुं० छोटा । अल्प |