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पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/७४

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अवैतनिक अवैतनिक - वि० [सं० ] बिना वेतन या तनख्वाह के काम करनेवाला । आनरेरी । वैदिक - वि० [सं०] वेद- विरुद्ध । श्रव्यक्त-वि० [सं०] अप्रत्यक्ष | अगोचर | श्रव्यक्त गणित - संज्ञा पुं० बीज गणित । श्रव्यय - वि० १. जो विकार को प्राप्त न हो । सदा एकरस रहनेवाला । ster | २. नित्य । श्रादि-श्रंत-रहित । संज्ञा पुं० १. व्याकरण में वह शब्द जिसका सब लिंगों, सब विभक्तियों और सब वचनों में समान रूप से प्रयोग हो । २. परब्रह्म । ३. शिव । ४. विष्णु । श्रव्ययीभाव-संज्ञा पुं० समास का एक भेद ( व्याकरण ) ! अव्यर्थ - वि० १. जो व्यर्थ न हो । सफल । २. सार्थक । ३. अमोघ । श्रव्यवस्था -संज्ञा स्त्री० [वि० अव्यवस्थित ] १. नियम का न होना । बेकायदगी । २. गड़बड़ | अव्यवस्थित - वि० १. शास्त्रादि- मर्यादा -रहित । २. अस्थिर । श्रव्यावृत - वि० निरंतर । लगातार । अटूट | अव्याहत - वि० १. बेशक । २. सत्य । अव्युत्पन्न - वि० १. अनाड़ी । २. व्या- करण शास्त्रानुसार वह शब्द जिसकी व्युत्पत्ति या सिद्धि न हो सके । अव्वल - वि० [अ० ] १. पहला । २. उत्तम । 1 संज्ञा पुं० आदि । प्रारंभ । शंक - वि० बेडर । निर्भय । श्रशकुन - संज्ञा पुं० बुरा। शकुन । बुरा लक्षण । अशक्त - वि० [संज्ञा अशक्ति ] निर्बल । ६६ अशोक वाटिका अशक्य - वि० असाध्य । न होने योग्य । अशन - संज्ञा पुं० १. भोजन । २. खाने की क्रिया । शरण - वि० जिसे कहीं शरण न हो । अनाथ । श्रशरफी - संज्ञा स्त्री० [फा०] १. सोलह से पचीस रुपए तक का सोने का एक सिक्का | मोहर । २. पीले रंग का एक फूल । अशराफ - वि० [अ०] शरीफ़ । भद्र | अशांति संज्ञा स्त्री० [सं०] १. प्रस्थि- रता । चंचलता । २. क्षोभ । असंतोष । अशिक्षित - वि० [सं०] जिसने शिक्षा न पाई हो । अनपढ़ । शिष्ट वि० [सं०] उजड्डु | बेहूदा | अशिष्टता-संज्ञा स्त्री० [सं०] असा- बेहूदगी । अशुचि - वि० [ अशौच ] १. अपवित्र । २. गंदा । अशुद्ध - वि० [सं०] १. अपवित्र । २. बिना शोधा । ३. १ लत । अशुन -संज्ञा पुं० अश्विनी नक्षत्र । अशुभ -संज्ञा पुं० १. अमंगल । २. पाप । वि० [सं०] जो शुभ न हो । बुरा । शेष - वि० [सं०] १. पूरा | समूचा । २. अनंत । अशोक - वि० [सं०] दुःख-शून्य । संज्ञा पुं० एक पेड़ जिसकी पत्तियाँ श्रम की तरह लंबी लंबी और किनारों पर लहरदार होती हैं। अशोक वाटिका -संज्ञा स्त्री० [सं०] १. शोक को दूर करनेवाला रम्य उद्यान । २. रावण का वह प्रसिद्ध बग़ीचा जिसमें उसने सीताजी को ले जाकर रखा था ।