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बिखरे मोती ]
नदी के पार, और उस पार से इस पार लाने का चौधरी ने ठेका ले रक्खा था । चौधरी की अनुप- स्थिति में तिन्नी अपने पिता का काम बड़ी योग्यता से करती थी ।
[ २ ]
“आज इतनी जल्दी कहाँ जा रही हो तिन्नी’ ?
क्या तुम नहीं जानते ?”
“क्या ?'
“यही कि राजा साहब आज उस पर जायंगे"?
"कौन राजा साहब "?
“तुम्हें यह भी नहीं मालूम ?”
“मैं आज ही तो यहाँ आया हूँ ।
"और अब तक कहाँ थे ?”
"अपने घर"।
"तो जैसे मैं रात-दिन घाट पर ही तो बनी रहती हूँ न ? इसलिए मुझे सब कुछ जानना चाहिए और तुम्हें कुछ भी नहीं । तुम मुझे वैसे ही तंग किया करते हो । जाओ, अब मैं तुमसे बात भी न करूगी ।
तिन्नी को चिढ़ाकर उसकी क्रोधित मुद्रा को देखने
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