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बिखरे मोती ]
 

अप्रिय व्यवहार न होता । फिर भी दोनों में पद-पद पर मतभेद होने के कारण उनका जीवन सुखी न रहने पाता था ।

[ २ ]


शाम-सुबह, निर्मला दोनों समय घर के काम-काज के बाद मील दो मील तक घूमने के लिए चली जाती थी । इससे शुद्ध वायु के साथ-साथ कुछ समय का एकान्त,उसे कोई नई बात सोचने या लिखने के लिए सहायक होता । किन्तु निर्मला की सास को बहू की यह हवाखोरी न रुचती थी। उन्हें यह सन्देह होता कि यह घूमने के बहाने न जाने कहाँ-कहाँ जाती होगी; न जाने किससे किससे मिलकर क्या क्या बातें करती होगी ।प्रायः वह देखा करतीं कि निर्मला किधर से जाती है। और कहाँ से लौटती है ? एक बार उन्होंने पूछा भी कि-“तुम गईं तो इधर से थीं, उस ओर से कैसे लौटीं?"


निर्मला इसका क्या जवाब देती, हँसकर रह जाती। किन्तु निर्मला की सास बहू की इस चुप्पी का दूसरा ही अर्थ लगातीं । उन्हें निर्मला का आचरण पसन्द न था ।

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