माला को सफल बनाने में हम अपनी ओर से कोई कोर-कसर न रक्खेंगे; परंतु प्रेमी पाठकों से भी प्रार्थना है कि यदि वे मातृभाषा-मंदिर के दिव्य दीपकों की उज्ज्वल आभा से अपनी आँखों की परितृप्ति चाहते हैं, तो अविलंब हमारा करावलंब करें, जिसमें हम शीघ्र ही भगवती भारती को सुकवि-माधुरी-माला पहनाने में कृतकार्य हों।
इस माला के लिये कई कृतविय अवियों की कृतियों को सुचारु रूप से संपादन हो चुका