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पृष्ठ:बिहारी-रत्नाकर.djvu/३४६

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| को कहि सके बड़ेनु 1ऊ कोरिक कैसे छोटे नरनु 1 कैवा आवत इहि केसरि कै सरि क्यों कुढंगु कोषु तजि केसर केसरि-कुसुम कुटिल अलक कुन-गिरि चढ़ि कुंज-भवनु ताज कीनें हैं कोरिक । कीजै चित सोई 1 कियौ सयानी | कियौ सबै जगु । कियौ जु, चिबुक किय हाइलु किती न गोकुल कालबूत दूती । यारे-बरन उरावने कागद पर लिखत कहं यह श्रुति कहे जु बचन कहि, लहि कौनु कहा लेहुगे कहि पठई जिय दोहों की अकारादि सूची ४३१ । ४३१ | १६५ ॐ ६ ६ ६ ६ ६ * * !! * * * * * * * * * * * * * मानसिंह की टीका * 2 ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ |बिहारी-रत्नाकर उपस्करण-१ कृष्ण कवि की टीका ।

  • * • * f६ ६ ६ ६ ६ ६ हैं । ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ | हरिप्रकाश-टीका * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * | लाल-चंद्रिका * * * * * * * * * * ६ ६ ६ ६ ६ ६ * * * * * * * | शृंगार-सप्तशती

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  • ० ० ० ० ० ० ६ ० ० हैं ० ० ० ० ० ० ० ० * * ० ० ० ० | रस-कौमुदी