पृष्ठ:बिहारी-रत्नाकर.djvu/३५७

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| बैंक न जानी नैकु उतै नेहु न नैननु कौं नीठि नीठि उठि नीचयै नीची नीच हियें। नीको लसतु नीकी दई निसि अँधियारी निरदय नेहु निरखि नवोढ़ानारि निपट लजीली नित संसो हंसो निज करनी नाहिंन ए नित प्रति एकत है। नाह गरजि नावक-सर नासा मोरि नाचि अचानक नागरि विविध नाक चढ़ नाक मोर नाउँ सुनत नहिं हरि लो दोहों की अकारादि सूची ६ ६ ६ ६ ६ * * * * * * * * * * * * * * * * * * मानसिंह की टीका ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ | बिहारी-रत्नाकर बिहारी-रत्नाकर कृष्ण कवि की टीका। ६३२ ४६६ : ४६९ ५७० ! ५७० ' १५७ । ८० २३८ ६०५ । ६०६ ५१३ ५०६ : ५०६ ६८३ २६६ : ३३१ ५६६ : ५६६ : ४८ ४६४ | ४६४ : ५६ ४६१ । ११ । ४८ ४५४ | ४६४ ६३३ ५१० | ३४६ २४७ ३०० | २३४ ४०७ ६ ६ ६ ६ ६ * * * * * * * * * * * * * * * * * इरिप्रकाश-टीका ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ६ | लाल-चंद्रिका ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ | अंगार-सप्तशती ॐ ० ० * ० ० ० * ० * ० ६ ० ३ ० ६ ० ६ ० ० ० * * ० *] रस-कौमुदी