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पृष्ठ:बिहारी-रत्नाकर.djvu/६

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बिहारी-रत्नाकर

अर्थात्

बिहारी-सतसई पर रत्नाकरी टीका

प्रणेता

श्रीजगन्नाथदास “रत्नाकर' बी० ए०


सतसैया के दोहरे ज्यौ नावक के तीर ;

देखत मै छोटे लगे, घाव करैं गंभीर ।

प्रकाशक

गंगा-पुस्तकमाला-कार्यालय

२९-३०, अमीनाबाद-पार्क।

लखनऊ


प्रथम संस्करण

श्रावण, संवत् १९८३

मूल्य ५)