पृष्ठ:बीजक.djvu/१८६

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( १३६ )
बीजक कबीरदास ।

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( १३६) वीजक कबीरदास । साखी ॥ नाथ मछंदर ना छुटे, गोरखदत्ता व्यास ॥ । कहा कवीर पुकारिकै, परेकालकेफाँस ॥४॥ | ब्रह्मा जे काशीके वासी शंभूने। तिनते संहित अविनाशी जे बिष्णु ते मरगये सो अविनाशी सबकाई कहतई है औमरिबोकहै हैं सो उनको तो नाश कबहुं होतही नहीं है महा प्रलयम तिरोधान है पुनि प्रकटहोइहैं याते अविनाश को है ॥ १ ॥ मथुरा के कृष्ण औ गुवार औ दशौ अवतार तेऊ मरिकहे तिरोधान है गये कहां गये जहां श्रीरामचन्दके आगे हारन ब्रह्मा विष्णु महेश दशौअवतार ठाड़े हैं नाका नौने ब्रह्माण्डको हुकुमहोइहै सो तहां अवतारलै पुनि अपने अंशन में लीनहोई तामें प्रमाण शिवसंहिताको अगस्त्यवचन हनुमाप्रति ॥ ( आसीनतमनुध्यायसहस्रस्तंभमॉडते । मंडपेरत्नसगेचजानक्यासहराघम् ॥ मत्स्यः कूर्मश्चकृष्णश्चनारसिंहाद्यनेकधा । वैकुण्ठोपिहयग्रीवोहार: केश वामन ॥ यज्ञोनारायणधर्मपुत्रोनरवरोपिच । देवकीनंदनः कृष्णो वासुदेवावलेपिच ॥ पृष्णिगभौंमधून्माथीगोविंदोमाधवोपिच । वासुदेवोपरोनन्तः संकर्ष णारापतिः ॥ एतैरन्यैश्चर्ससेव्योरामनाममहेश्वरः । तेषामैश्वर्यदातृत्वं तन्मूलत्वं निरीश्वरः॥ इन्द्रानामास इन्द्राणांपतिः साक्षीगतिः प्रभुः । बिष्णुस्वयं सविणूनांप तिवेदांतकृद्विभुः ॥ब्रह्मास्त्रह्मणांकत्ताप्रजापतिपतिर्गतिः । रुद्राणांस्थपतीरुद्रोरुको टिनियामकः॥चन्द्रादित्यसहस्राणिरुद्रकोटिशतानिच । अवतारसहस्राणि शक्तिको टिशतानिचा ॥ ब्रह्मकोटिसहस्राणि दुर्गाकोटिशतानिच । सभांयस्यनिषेवतेसश्री रामइतीरितः ) ॥ २ ॥ औनिन सगुण म भक्ति को ठानी है तेऊमरगये औ जे निर्गुणान्यो है तेऊमरगये याते यह आयो कि निर्गुण सगुणवारे भक्त दौ मरिगये ॥ ३ ॥ औ मछंदर औ गोरख औ दत्तात्रेय औ ब्यास सोई योगऊ कियो छूटिबेको १ श्रीकबीरजी कहै हैं कि सबकालके फैंसमें परतभये कहे महायमेनाशद्वैगये । गहाप्रलय में जबब्रह्मा मरे हैं तब कोई नहीं रहे ।।४।। इति चैवनवा रमैनी समाप्ती ।