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पृष्ठ:बीजक.djvu/२२१

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रमैनी। | ( १७१) साखी ॥ कहहिं कवीर पुकारिके, वा पन्थे मतभूल ॥ जेहिराखे अनुमानकरि,सो थूलनहीं स्थूल॥१०॥ तेहिसावकेलागोसाथा। दुइदुखमेटिकैहोहुसनाथा ॥ १॥ निनको पूर्व कहि आये ते हरि कहे रक्षक मन वचन के परे परमपुरुष जे श्रीरामचन्द्र है तिनके साथमें लागो दुनों जे दुःख हैं निर्गुण और सगुण तिनका मेटिकै सनाथ होउकहे नाथ जे साहब तिनते सहित वह साहब कैसाहै कि धोखाव्रह्म नहीं है औ कौन्या अवतार में नहीं है अर्थात् निर्गुण सगुएके परे हित वह साहब कैसा है कि धोखाब्रह्महै नहीं है औ कौन्यो अवतार में नहीं है अर्थात् निर्गुण सगुणके परे है कबहूँ जब कौन्योकल्प में बाणनके युद्धको इच्छा होइहै तब आपही प्रकट हुँकै प्रतापी नामको रावणहाइहै तास बाणनको युद्ध करैहै औ फिर शरीर सहित को चले जाइहै औ बहुधा ने अवतार होइहैं ते नारायणै अवतार लेइहैं ॥ १ ॥ दशरथकुलअवतारनहिंआया। नहिलङ्काकेरायसताया॥२॥ नहिदेवकिकेगर्भहिआया। नहींयशोदागोदुखेलाया ॥ ३॥ पृथ्वीरमनदमननहिंकारयापैिठिपतालनहीं बलिछलिया ४ | श्रीकबीर जी कहै हैं कि, वे श्रीरामचन्द्र कौन्य अवतार में नहीं हैं दशरथ के इहां अवतार नहीं लियो दशरथ के इहां अवतारलै नारायणै रावणको मारै हैं ॥ २ ॥ अरु वे साहब देवकी के गर्भ में नहीं आयो अरु वाको यशोदा गोदमें नहीं खेलायो ।॥ ३ ॥ अरु वे साहब पृथ्वी रमण है कै म्लेच्छनको दमन अर्थात् बामन रूप नहीं धरयो ॥ ४ ॥ नहिंवलिरायसोंमाड़ीरारीनहिहिरणाकुशवधलपछारी॥ वराहरूपधरणीनाहिंधरिया। क्षत्रीमारिनिक्षत्रनकारया॥६॥ नहिंगोवर्द्धनकरगहिधरियानहींग्वालसँगवनवनाफरिया७ अरु वे साहब बलिरायस रार नहीं मांड्यो कहे मोहनीअवतारलै देवतनको अमृत पिआय दैत्यनको बारुणीपिआय बलिसों युद्धकरि दैत्यनको विष्णुरूप है.