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शब्द। (२१७) एतीबड़ी गुस्ताखी कव नीक लगेगी । अथवा हिन्दू तुरुक की एक राहहै कहे। एक रामनाम लियेते उद्धार होइहै से कर्मत निवृत्त के न हिंदू राम कहैं न मुसल्मान खोदा कहैं आपने अपने कर्म में सब लगे हैं तेाहते माया कैसे छूटे । अथवा न नारायणराम कह्यो कि तुम झटका मारी न खोदा इकह्यो कि तुम इलाल करौ ये दोऊ अपने अज्ञानते बनाइ लिया है ॥ ५ ॥ इति दशवां शब्द समाप्त । अथ ग्यारहवां शब्द ॥ ११ ॥ ( ब्राह्मण ) संतो पांडे निपुण कसाई । बकरा मारि भैंसाको धावै दिलमें दर्द न आई ॥ १ ॥ करि स्नान तिलक करि बैठे विधिसों देवि पुजाई ।। आतम राम पलकमा विनशे रुधिरकी नदी वहाई ॥२॥ अतिपुनीत ऊंचेकुल कहिये सभा माहिं अधिकाई ।। इनते दीक्षा सवकाइ मांगै हँसि आवै मोहिं भाई ॥ ३॥ पाप कटनको कथा सुनावै कर्म करावें नीचा ।। बूड़त दोउ परस्पर देखा गहे हाथ यम घींचा ॥४॥ गाय वधै तेहि तुरुका कहिये उनते वैका छोटे। कहहि कबीर सुनौहौ संतो कलिके ब्राह्मण खोटे ॥५॥ संतो पांड़े निपुण कसाई । बकरा मारि भैसाको धावै दिलमें दर्द न आई ।। १ ॥ कर स्नान तिलक कर बैठे विधिसों देवि पुजाई ।। आतमराम पलकमो विनशे रुधिरकी नदी वहाई॥२॥