(३) बुद्ध जन्म
हसति सकललोकालोकसर्गाय भानुः
परमममृतवृष्टौ पूर्णतामेति चन्द्रः।
इपति जगति पूज्यं जन्म गृह्णाति कश्चित्
विपुल कुशलसेतुर्लोकसन्तारणाय ॥
कपिलवस्तु का छोटा राज्य नेपाल की तराई में अचिरावति और रोहणी । नाम की दो पहाड़ी नदियों के बीच में था। राज्य के उत्तर में हिमालय पर्वत का पदस्थ जंगल, पूर्व में रोहिणी नदी जो कोलियों के देवदह के राज्य को कपिलवस्तु से अलग करती थी, दक्षिण में काशीकौशल और पश्चिम में कौशल का विशाल राज्य पड़ता था जिसकी राजधानी श्रावस्ती थी। राज्य का विस्तार उस समय में कितना था, इसका तो कुछ ठीक पता नहीं चलता; पर चीनी यात्री शुयन च्वांग के समय में कपिलवस्तु का विस्तार ४००० ली था। यह देश उस समय आवाद न था और प्रायः विशेष भाग साखू के घने जंगल से आच्छादित था । केवल कहीं कहीं छोटी छोटी वस्तियाँ थीं जिन्हें
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- इस नदी को अब रापती कहते हैं। यह हिमालय पहाड फो तराई से बहराइच के उत्तर निकलकर यहराइच, गोंडा, बस्ती, गोरखपुर में से बहती हुई घाघरा में मिलती है । यह अपना कूल या धार सदा बदला करती है।
यह नदी हिमालय की तराई से निकलकर नेपाल में होकर यस्ती जिले में से होती हुई गोरखपुर के पास रावती में गिरती है।