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पृष्ठ:बुद्ध-चरित.djvu/२३८

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ये धम्मा हेतुप्पभवा तेसं हेतु तथागतो आह।
तेसं च यो निरोधो एवं वादी महासमणो।

"हेतु तें उत्पन्न जो हैं धर्म-दुखसमुदाय-
हेतु तिनको कहि तथागत ने दियो सब आय।
और तासु निरोध हू पुनि महाश्रमण बताय
लियो या बूड़त जगत को बाहँ देय बचाय।"

सोइ उपवन माहिँ बैठ्यो संघ एक महान्
ओजपूर्ण अपूर्व भाख्यो ज्ञान श्रीभगवान्।
सुनत सब पै गयो दिव्य प्रभाव ऐसो छाय,
आय नौ सौ जनन ने ले लियो वस्त्र कषाय

और लागे जाय कै ते करन धर्मप्रचार।
बुद्ध ने योँ कहि विसर्जित कियो संघ अपार-

सब्ब पापस्स अकरणं; कुसलस्स उपसंपदा
सचित्त परियो दवनं एतं बुद्धानुसासनं।

"करिबो पाप न कोउ संचिबो शुभ है जेतो,
करिबो चित्त निरोध बुद्ध अनुशासन एतो।"