पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/१०२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

६६ बौद्धों के धर्म-साम्राज्य का विस्तार का काफी प्रचार है। श्याम का राजा भी बौद्ध धर्म में दीक्षित है। वह हर साल बौद्ध मन्दिरों में जाता और बौद्ध भिक्षुओं के दर्शन करता है। महायान सम्प्रदाय अर्थात् उत्तरी बौद्ध-धर्म ई० सन् के प्रारंभ में उत्तर-पश्चिम भारतवर्ष का मुख्य धर्म था । काश्मीर का राजा पुष्यमित्र जो ईसा के पूर्व दूसरी शताब्दि में था, उसने बौद्ध-धर्म को ग्रहण किया और इसके पुत्र अग्निमित्र ने जब गंगा के तट पर यूनानियों से युद्ध किया और इसमें यूनानियों ने विजय प्राप्त की, तो ईसा के लगभग १५० वर्ष पहले बौद्ध-धर्म गंगा नदी तक फैल गया । इस समय के प्रसिद्ध बौद्ध-भिन्नु नागसेन ने यूनानी राजा के साथ धर्म-सम्बन्धी वाद-विवाद किया था, जिसका वर्णन एक पाली-अन्य में सुरक्षित है। इसके बाद मसीह की पहली शताब्दि में युची लोगों ने कनिष्क की अध्यक्षता में काश्मीर को विजय किया और शीघ्र ही इसका राज्य पूर्व में आगरे तक फैल गया । यह एक बड़ा उत्साही बौद्ध राजा प्रकट हुआ। इसने ५०० बौद्ध-भिनुओं को एकत्रित करके काश्मीर में एक बड़ी सभा की। और इस सभा में बहुत-से वाद-विवाद हुए, लेकिन इस सभा में अशोक की पटनावाली सभा की तरह न तो पाठ शुद्ध किये गये और न पुस्तकों को ही निश्चित किया गया। बल्कि इस सभा में केवल तीन भाष्यों का निर्माण किया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि पश्चिम का बौद्ध-धर्म असली बौद्ध-धर्म से पीछे हटता गया। अश्वघोप उत्तरी बौद्धों में एक बड़ा भारी विद्वान् हुआ है।