पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/१९३

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बुद्ध और बौद्ध-धर्म २०६ पर दूसरे से पूछा गया-"सब से बड़े जीव पृथ्वी पर होते हैं या समुद्र में ?" उसने कहा-"पृथ्वी पर, क्योंकि समुद्र पृथ्वी का एक टुकड़ा है" तीसरे से पूछा गया-"सब से धूर्त कौन-सा जीव है ?" उसने कहा-"वह, जिसको मनुष्य अभी नहीं जानता।" (संभवतः उसका तात्पर्य यह था कि मनुष्य सब से धूत है, उसे आत्मज्ञान नहीं है)। चौथे से पूछा गया-"तुमने सबास को विद्रोह करने पर क्यों उद्यत किया ?" उसने उत्तर दिया-"मैं चाहता था कि या तो वह मान के साथ जिये, या कायरों की भाँति मर जाय ॥ पाँचवे से पूछा गया-"दिन बड़ा है या रात । (अर्थात पहले दिन उत्पन्न हुआ या रात?" उसने कहा-"रात से दिन एक दिन बड़ा है ।" सिकन्दर को इस पर कुछ आश्चर्य करते देखकर उस ने कहा-"गूढ प्रश्नों के उत्तर भी गूढ ही होने चाहिएँ ।” छठे से पूछा गया-"मनुष्य क्या उपाय करे कि लोग उसे प्यार करें ?" उसने कहा-"यदि तुम्हारे पास अधिकार है तो ऐसा मत करो कि लोग तुमसे डरें" सातवें से पूछा गया-संसार में सबसे पवित्र वस्तु क्या है ? उसने कहा-वह हृदय, जो लेन-देन में साफ़ है। आठवें से पूछा गया-"जीवन प्रबल है या मृत्यु ?" उसने कहा-'जीवन, क्योंकि वह इतने कष्टों को सहता है।" नवें से पूछा गया-"मनुष्य को कब तक जीना चाहिए।" "