बुद्ध और बौद्ध-धर्म परन्तु वह कट्टर और धार्मिक गृहस्थ के लिए हैं। वह संक्षेप में n (१) रात्रि को देर में भोजन नहीं करना चाहिए। (२) माला नहीं पहननी चाहिए, और सुगन्धि नहीं लगानी चाहिए। (३) भूमि पर सोना चाहिए। कट्टर और धार्मिक गृहस्थ के लिए इन आठों आज्ञाओं के, जोकि अष्टाङ्गशील नाम से प्रसिद्ध हैं, पालन करने की प्रतिज्ञा करने के लिए कहा गया है। और इन आठों नियमों के अतिरिक्त दो नियम और भी हैं। वह ये हैं-नाच, गाने-बजाने से निषेध तथा सोने-चाँदी को प्रयोग में लाने से निषेध । ये दसों आज्ञाएं (दसशील) भिक्षुओं के लिए आवश्यक है। जैसे पंचशील गृहस्थों के लिए। "अपने माता-पिता का सत्कार करना और इज्जतदार व्यापार करना।" यद्यपि ये दो वातें आज्ञाओं में सम्मिलित नहीं हैं,तथापि उसी सूत्र में सब गृहस्थों को उनका पालन करने के लिए कहा गया है। उसे भक्ति के साथ अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए और कोई इज्जत का व्यापार करना चाहिए। जो गृहस्थ इसका पूर्णतया पालन करता है, वह सयंपभस (स्वयंभु) देवता के पास जाता है गृहस्थ-धर्म का अधिक विस्तृत वर्णन प्रसिद्ध सिंगालोवाद-
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