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बेकन-विचाररत्नावली।


है। चित्र विचित्र खेल, विवाहोत्सव, भोजन समारम्भ, शवयात्रा, वधदंड इत्यादि काभी स्मरण दिलानेकी आवश्यकता नहीं। प्रसंग पड़ने पर उनकोभी देखना चाहिए।

किसी अप्रौढवयस्क तरुणको यदि थोड़ेही समयमें अनेक बातोंका ज्ञान सम्पादन करने की इच्छा हो, तो हमारे कहनेके अनुसार उसको चलना चाहिए। जिस देशमें पर्य्यटन करना है उस देशकी भाषाका थोड़ा बहुत ज्ञान अवश्य होना चाहिए; यह पहले कह आए हैं। फिर साथमें एक ऐसा शिक्षक अथवा नौकर होना चाहिए जिसने उस देशमें एक बार भ्रमण कियाहो, इसकाभी ऊपर उल्लेख हो चुका है। जिस देशमें परिभ्रमण करना है उस देशका मानचित्र (नक्शा,) अथवा जिसमें उस देशका वर्णन हो ऐसी एक आध पुस्तक साथ रखना चाहिए; ऐसा करनेसे विशेष पूंछ पांछ करनेकी आवश्यकता न पड़ैंगी। दिनचर्य्या भी रखनी चाहिए, एकही स्थान अथवा एकही नगरमें बहुत दिन तक न रहना चाहिए। जिस स्थान अथवा जिस नगरमें जितने दिन रहनेकी आवश्यकता हो उतनेही दिन रहकर स्थानान्तरमें गमन करना उचित है। जब किसी नगरमें रहनेका प्रसंग पड़ै, तब चलनेके समय तक वहां एकही भागमें न रहकर, थोड़े थोड़े दिनके लिए कई भागोंमें निवास करना अच्छा है। दो एक दिन एक महल्लेमें, दो एक दिन दूसरेमें, दो एक दिन तीसरे में, इस प्रकार रहना चाहिए। ऐसा करनेसे जान पहँचान बढ़ती है। अपने देशके लोग जहां रहते हों वहां न रहना चाहिए। भोजन ऐसे स्थान में करना चाहिए जहां बड़े बड़े लोग एकत्र होते हों। स्थानान्तर करते समय तत्रस्थ किसी प्रतिष्ठित पुरुष के नाम कहीं से एक आध सिफ़ारशी पत्र प्राप्त करना चाहिए। ऐसा करने से, जो जो वस्तु देखने अथवा जानने के योग्य है उसके देखने अथवा जानने में, उस प्रतिष्ठित पुरुष की कृपासे, विशेष सुविधा