(११) भूमिका। माहिये । खेद का विषय है कि ऐसा पंडितराज राजिीतलक' नवनीतकोमलांगी' में लीन हो जाय । व्यमाला नामक मुंबईकी मासिक पुस्तकमें इस कविके रचे तिने ग्रंथोंके नाम लिखे हैं:- रस गंगाधर ८ अमृत लहरी यमुना वर्णन चम्पू ९ सुधालहरी रतिमन्मथ नाटक १० करुणा लहरी वसुमती परिणय नाटक ११ लक्ष्मी लहरी । जगदाभरण काव्य १२ भामिनी विलास
- प्राणाभरण काव्य
१३ मनोरमा कुव मदन ७ पीयूषलहरी १४ अश्वधारी काव्य पंडित लक्ष्मण रामचन्द्र वैद्यने जिसका उल्लेख किया है. उस आसफ विलास" का नाम उपरोक्त पुस्तकमालिकामे नहीं माया। अनुमान होता है कि काव्यमालाकारको वह उपलब्ध नहीं हुआ। .. जगदाभरणमें शाहजहांके पुत्र दाराशिकोहका वर्णन है और प्रा- गाभरणमे कामरूपदेशक राजा प्राण नारायणकी यशःप्रशंसा है जसे जगन्नाथरायने कामरूपदेशकी काव्यको श्रवण करके प्रसन्न होकर निर्माण किया था । पीयूष, अमृत, सुधा, करुणा और लक्ष्मीलहरीमें क्रमसे गंगा, यमुना, सूर्य, विष्ण, और लक्ष्मीका स्तवन है । अश्वधारी में रामनामक अपने पौत्रको सदुपदेश किया है। यमुनावर्णनं चंपू, रतिमन्मथ नाटक, वसुमतीपरिणय नाटक और मनोरमाचमर्दन मेरे अवलोकनमें नहीं आये । ___प्रस्तुत कविके ग्रंथों में ' रसगंगाधर । नामक सागिन्यका ग्रंथ पासनीय है । यह हस्तलिखितही देखनेमें आता था परंतु अब मुद्रित हो गया है । इस ग्रंथको पंडितराजने बड़ी चातुर्यता और युक्तिसे गद्यपद्यमय निर्माण किया है । इसमें समस्त विषयोंकी