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श्रीगणेशायनमः
श्रीमत्पंडितराज जगन्नाथ प्रणीत
नामक संस्कृत काव्य का
अवधमंडलांतर्गत रायवरेली प्रांतस्थ
दौलतपुर निवासी
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महावीर प्रसाद द्विवेदी
हेड टेलिग्राफइन्स्पेक्टर आयव्यमरेलवे झांसी
विरचित
मूलश्लोक सहित देवनागरी
भाषानुवाद
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यह पुस्तक
स्वकीय श्रीवेङ्कटेश्वर छापखानेमें
छापके प्रसिद्ध किया
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संवत् १९५० शके १८१५
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इस पुस्तकका सर्वाधिकार यन्त्राधिकारीने अपने
स्वाधीन रक्खा है.
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