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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१३१

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समझाया कि देवता आपसे अप्रसन्न हैं और उनके क्रोध से बचने का यही उपाय है कि आप सुलतान की आज्ञानुसार अपने कोष से रुपया दे दें। राजा ने यह सोच समझ कर रुपया दे दिया और लड़ाई समाप्त हुई।

६—बहमनी बादशाहों ने गुलबर्गे में राज किया। इनके पीछे अहमद शाह ने १४३१ ई॰ में गुलबर्गा छोड़ कर बीदर को अपनी राजधानी बनाया। यह बहमनी वंश का सब से बड़ा बादशाह था। इसने बिजयनगर के राजा देव राजा को परास्त किया। राजा ने उसे अपनी बेटी ब्याह दी और बड़ा भारी कर देना स्वीकार किया। तीन दिन तक ब्याह का जलसा रहा इसके पीछे जब सुलतान अपने डेरों को चला तो राजा उसके साथ उसके डेरे तक न गया किन्तु आधी ही दूर से लौट आया। यह बात बादशाह को बुरी लगी। वह इसको न भूला और कुछ बरस बीतने पर फिर राजा से लड़ना निश्चय किया पर इस बार राजा ने उसके ऐसे दांत खट्टे किये और युद्ध में परास्त किया कि वह लज्जा और शोक से मरही गया।

७—सन् १५०० ई॰ में बहमनी राज्य का ढांचा टूटने लगा। चार अफ़गान रईस जो सुलतान की ओर से भिन्न भिन्न इलाक़ों के हाकिम थे सुलतान की आधीनता से अलग होकर स्वतंत्र हो गये। अन्त में यह हुआ कि बीदर और उसके आस पास का देश तो सुलतान के अधिकार में रहा और सब उसके हाथ से निकल गया। यह भी उसके मंत्री ने दबा लिया और आप बीदर का सुलतान बन बैठा।