पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१८०

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करना चाहा। नूरजहां का पिता शेर अफ़गन के साथ मंगनी कर चुका था और अपने बचन से फिरना नहीं चाहता था। सलीम ने अकबर से फ़र्याद की पर अकबर ने बड़ी रुखाई से उसकी सहायता करने से इनकार किया। फिर मेहरुन्निसा का ब्याह शेर अफ़गन के साथ हो गया और वह उसके साथ बङ्गाले चली गई।

नूरजहां।

सिंहासन पर बैठते ही सलीम को कोई रोक टोक न रही। उसने शेर अफ़गन को मरवा डाला और उसकी स्त्री को राजमहल में लेकर उसका नाम नूरमहल रक्खा। स्वामी के मारे जाने पर नूरजहां बड़ी दुखित थी। क्रोध और दुःख के कारण उसने छः बरस तक जहांगीर की सूरत न देखी। अन्त में उसका क्रोध शान्त हुआ। मातम के भी कई बरस हो चुके थे इस कारण उसने बादशाह से ब्याह करना स्वीकार कर लिया।

६—अब फिर उसका नाम बदला गया और इसबार उसको नूरजहां की पदवी मिली। अब राज का पूरा अधिकार नूरजहां के हाथ में चला गया। जहांगीर ने सब काम उसी पर छोड़ दिये। सरकारी कागज़ों और आज्ञापत्रों पर जहांगीर के बदले नूरजहां के हस्ताक्षर होने लगे। नूरजहां का बाप बड़े वज़ीर के पद पर नियत किया गया। उसका भाई सभासदों में पहिले नम्बर पर था। बीस बरस तक नाम को जहांगीर बादशाह था पर वास्तव में नूरजहां बादशाही करती थी। जहांगीर कहा करता था कि मुझको तो पेट भर स्वादिष्ट भोजन और पीने को उत्तम शराब मिल जाया करे इसके सिवाय मुझे और कुछ न चाहिये। वह यह जानता था कि राज का प्रबंध मलका मुझसे अच्छा कर सकती है;