(ईसा से पहिले १००० बरस से २०० बरस तक।)
१—ईसा से पहिले एक हज़ार बरस से दो सौ बरस तक के समय को हिन्दुओं का प्राचीन काल कह सकते हैं। आर्य जाति के द्रविड़, कोल, तूरानी और प्राचीन भारतवासियों के साथ मिल जुल जाने से बहुत सी जातियां बन गई थीं। जातिभेद भी लोग मानने लगे थे। ब्राह्मण पुजारी और पुरोहित का काम करते थे, वेद के प्राचीन देवता और आर्य जाति के सीधे सादे धर्म को लोग भूल चुके थे। वेदों की भाषा भी अब नहीं बोली जाती थी। इसकी जगह ब्राह्मणों के लिखने की भाषा संस्कृत हो गई थी। साधारण पुरुषों की बोली तरह तरह की प्राकृत थी जिससे आजकल को प्रचलित भाषायें निकली हैं।
२—प्राचीन काल में आर्यों के घरों पर कोई बड़ा बूढ़ा या घर का मालिक अपने कुल की ओर से अग्नि और इन्द्र देवताओं की पूजा किया करता था, और उसके बेटे पोते खेत जोतते थे या कपड़ा बुनते थे। छोटे बालक गाय बैल चराते थे, औरतें दूध दुहती थीं, चरखा कातती थी या घर के और धंधे करती थीं। लड़ाई के समय मर्द तलवार और तीर कमान लेकर शत्रु से लड़ने जाते थे। इस जाति का सब से बहादुर और समझदार मनुष्य सर्दार या सेनाध्यक्ष बनता था। सर्दार देवताओं से प्रार्थना करता था कि लड़ाई के समय वह उसकी सहायता करें, और लड़ाई के अन्त में उनको धन्यवाद देता था।
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