(१) यूनानियों का भारतवर्ष में प्रवेश।
१—यहां तक हमको भारत और उसके निवासियों के बिषय में जो कुछ मालूम हुआ है वह सब भारत की पुस्तकों से मिला है। भारत का सब से पहिला इतिहास साल समेत जो हमको मिलता है वह यूनानियों की लेखनी से लिखा गया था।
२—जो आर्य फ़ारस में जाकर बसे थे उन्हों ने वहां एक बड़ा राज स्थापित कर लिया था। बुद्ध के समय अर्थात ईसा से ५०० बरस पहले फ़ारस का बादशाह सिन्धुनद से लेकर रूम के समुद्र तक सारे पश्चिम एशिया पर राज्य करता था। एशियाई तुर्की, फ़ारस, अफ़गानिस्तान और पंजाब का वह हिस्सा जो सिन्धुनद के पार बसा है सब उसके राज में था।
३—फ़ारस का एक राजा ज़रकसीज़ नाम इस बड़े राज पर सन्तोष न करके उस जलडमरूमध्य के पार गया जो यूरोप और एशिया को अलग करता है, और एक बड़ी भारी सेना लेकर यूनान पर चढ़ दौड़ा। यूनानियों ने उसे हरा दिया और उसकी सेना के सब से बड़े हिस्से को मार कर उसे अपने देश से निकाल दिया।
४—इस समय यूनानी यूरोप की सारी आर्य जातियों से बढ़ थे; विद्या और गुण और शस्त्र-विद्या में भी सब से निपुण थे। ज़रकसीज़ के हारने के बहुत दिनों पीछे यूनानियों में एक बहुत बड़ा राजा हुआ जिसका नाम सिकन्दर था। इसने बिचार किया कि फ़ारस पर चढ़ाई करूं और फ़ारसवालों को यूनान पर चढ़ाई करने का स्वाद चखा दूं। इसने कोई ३५००० यूनानी सिपाही साथ लिये और फ़ारस पर चढ़ आया।