पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/१४६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

महात्मा बुद्धके जन्मके पूर्वका इतिहास ११७ उनकी कारीगरीके कुछ नमूने भी उनकी पुस्तके छठे अध्या- यमें दिये हैं। इन व्यवसायियोंके अतिरिक्त किसानों, शिल्पियों; दूकानदारों और व्यापारियोंका भी उल्लेख है। कईआभूप- णोंके सुन्दर नमूने भी दिये हैं। पुरानी पालीकी पुस्तकोंमें उन मार्गों का भी उल्लेख है जो व्यापारके बड़े बड़े राजपथ गिने . जाते थे। कहा जाता है कि उस समय पक्की सड़क नहीं थीं, न पुल थे, और न रुपया लेने देनेके कुछ सुभोते थे। व्याजकी दर भी उस समयकी पुस्तकोंमें लिखी नहीं है। यद्यपि ऐसे लोगोंकी संख्या बहुत कम थी जिनशे धनाढ्य कहा जा सके परन्तु उस अभाव और दरिद्रताके भी, जो आजकल यूरोपके बडे बड़े नगरों में पाई जाती है, कोई चिह्नन थे। लेखन-फला । लिखित पत्रका प्रथम उल्लेख युद्ध धर्म की उस पुस्तकमें मिलता है जो वुद्ध देवकी यातचीतका प्रथम अध्याय कही गई है। इससे यह मालूम होता है कि उस समय लेपन . विद्या भलीभांति प्रचलित थी और सरकारी घोपणाओं, सूच- नाओं और पत्र-व्यवहारके लिये काममें लाई जाती थी। त्रियां और साधारण लोग भी लिखना जानते थे। यहांतक कि वनों के पेलों में एक ऐसे खेलका उल्लेख है जिसमें लिखना खेल.. नेके रूपमें सीखा जाता था। लेप शन्दका उल्लेख भी बहुत मिलता है। उससे यह परिणाम निकाला जाता है कि यद्यपि लिपि-विज्ञान उस समयसे शताब्दियों पहले जारी हो चुका था परन्तु पुस्तक लिखनेकी प्रथा अभी प्रचलित न हुई थी। इसाकै पूर्व ठौं तब्दीको आर्थिक अवस्थाक विषय, प्रोफेसर रिस विश्वशी पुस्तकका यह भाग पति हो रोचक पौर पूर्ण कपसे अध्ययन के याय। Suttantan,