पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/१८७

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पाल्या - t . कौटिल्य और मेकावलीकी विंसेंट स्मिथ कौटिल्यके अर्थ. शास्त्रको इटलीके प्रसिद्ध राज- तुलना। नीतिक तत्वज्ञानी मेकावलीकी जगप्रसिद्ध पुस्तक, "प्रिंस', के साथ तुलना करता है। यह शेपोक पुस्तक शासन-कलापर एक प्रबल टीका है। यद्यपि बहुतसे यूरोपीय राजनीतिक तत्त्ववेत्ता मेकावलीके राजनीतिक शीलकी हंसी उड़ाते हैं और उसको बहुत तुच्छ समझते हैं, परन्तु यूरोपका क्रियात्मक राजनीतिक शील किसी यातमें भी मेकावलीकी शिक्षासे उच्चतर नहीं है। उदाहरणार्थ, विंसेंट स्मिय कौटिल्यको इस प्रकारको हंसो उड़ाता है कि राजाओंका शोल प्रजाके शीलसे मिन्न होना चाहिये, जो बातें प्रजाके लिये अर्थात् किसी समाजके अकेले सदस्योंके लिये अनुचित है और अपराधकी सीमातक पहुंचाती हैं वे राजाओंके लिये उचित और शासनके लिये अच्छी और प्रशंसनीय होती हैं। साधारण प्रजा- के लिये किसी दूसरेके मालकी चोरी करना अथवा छल, कपट या डाकासे किसीकी सम्पत्तिपर अधिकार करना अति कुत्सित कर्म है, परन्तु राज्यके प्रयोजनोंके लिये ये सब चीजें उचित हैं। जहां निजू व्यक्तिके लिये प्रतिशाफा भङ्ग करना बहुत बुरा और जघन्य समझा जाता है वहां राज्योके लिये यह उचिन और आवश्यक ठहराया गया है। राज्यके लिये हर प्रकारका धोता, छल, घूस देना, और घूस लेना उचित समझा जाता है। शत्रु- के मित्रोंको बहकाना उनको घूस देकर अपनी मोर फर लेना, उसकी प्रजामें विद्रोह फैला देना, उसके अफसरोंको राजद्रोही पना देना, यह राज्योंके लिये उचित है* { और यूरोपके गत तीन यह मेरे पास बस मेकामही र कट्रिाली मम्पति पा रहा । मेरो मितिम ये सब ग अनुमित ।