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खमपंगा । पूज्य पिताजी! आप मेरे पहले गुरु हैं। इतिहास-शास्त्रकी रुचि भीआपने ही मेरे मनमें उत्पन्न की। अतएव अपने प्यारे देशके प्राचीन इतिहासपर इस अपूर्ण पुस्तकको आपके श्रीचरणोंमें भेंट करता हूं। स्वीकार करनेकी कृपा कीजिये आपका प्रिय पुत्र, लाजपतराय।