पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२८२

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सिंध। २४८ भारतवर्षका इतिहास पूर्वी प्रदेश उसके अधीन थे। इस समय मुलतान सूर्यको पूजाके लिये प्रसिद्ध हो चुका था। सिंध शूद्र जातिके एक चौद्ध राजाके अधीन था। सिंधु नदीका त्रिभुन द्वीप उस राजाके प्रदेश के अन्तर्गत था। बलोचिस्तान भी उससे अधीन था। सिंधकी राजधानी गलोर थी। यह वर्तमान रोड़ीके समीप थी। यह राज्य बहुत धनाड्य और शक्तिशाली था। सिन्यु वर्तमान फालको अपेक्षा यहुत अधिक आयाद था। स्मिथकी सम्मतिमें उस वौद्ध राजाका नाम राय सिहरस (सहर्पण) था। इसके राजत्वकालमें अस्य लोगोंका पहला माक्रमण मकरानपर हुआ। इन लोगोंका सामना करता हुआ राय सिहरस मारा गया। सम् १४४० में अरेव लोगोंने मर्कः रानपर अधिकार कर लिया और सिहरसरायका पुत्र साहसी भी उनसे लड़ता हुआ वीरगतिको प्राप्त हुआ। जच्च और दाहिरका समय, साहसीके मारे जानेपर सिंघका मुहम्मदबिन कासमका राज्य जञ्च नामक एक ब्राह्मण मन्त्री के हाथमें चला गया। उसने चालीस पहला आक्रमण । वर्पतक शासन किया। सन् ०१०,११ ई० में नुहम्मद बिन कासिमने सिंधपर आक्रमण किया और नश्य- का पुत्र राजा दाहिर जून सन् ७१२ ई० में मार डाला गया। सिंध इसके पश्चात्से सदा मुसलमानोंके अधिकारमें रहा । 'उज्जैन.....पक ब्राह्मण वंशके राजाभोंके अधिकारमें था। आसाम । आसाम (कामरूप) के कुमार राजाका उल्लेख पहले हो चुका है....