४८० भारतयका इतिहास वर्ष पूर्व मार्य लोग भारतवर्षसे चलकर ईरानमें और भागे पश्चिममें जा यसे, न किये उत्तर-पश्चिमसे भारतमें आये। 2-D. R. Bhartdarkar-Charnichael Lectures 1921. इन व्याख्यानों में भारतीय मुद्राविद्याका वर्णन है। ग्रन्थकार- ने भारतमें वैदिक पालमें भी सिझोंका होना सिद्ध किया है। इस प्रकार उसने इस सिद्धान्तका प्पएडन कर दिया है कि मुद्रा बनानेकी कला भारतमें ईसा पूर्व सातवीं या आठपों शताब्दी में पश्चिमी एशियासे लाई गई थी। 3-विनयकुमार सरकार-Political institutions and Theorios of the Hindus: टिप्पण--इस प्रथ-सूचीको तैयार करते समय मेरे मनने हिन्दी और उर्दू पाठकों और विशेषतः हिन्दी पाटकों का ध्यान रहा है, क्योंकि जहां तक मुझे मालूम है इसके पहले उर्दूमें प्राचीन भारतीय इतिहासपर कोई भी नाम लेने योग्य अन्य मौजूद नहीं। इसलिये इसमें यहुतती वार्ते ऐसी है जो अंगरेजी जाननेवाले पाठकोंको बहुत साधारण जान पड़ेगी। मुझे यह ख्यालतफ भी न था कि इसका अंगरेजीमें अनुवाद किया जायगा। ज०)। 27a समाप्त eeee)
पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/५२३
दिखावट