पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/७०

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go भारतवर्ष का इतिहास ८-इसो समय राजपूत राजाओं ने भो लार्ड वेलेजली की सहायक श्रेणी में मिल जाना स्वीकार कर लिया और जो लड़ाइयां उनके आपस में या मरहठों के साथ होतो थी बन्द हो गई। है-अब भारत में होलकर हो एक बड़ा राजा था जो वेलेजली के घेरे में नहीं आया था। जसवन्तराव होलकर कहता था कि मुझ को अधिकार है कि उत्तर भारत में. जहां चाहूं जाऊं ; सब से चौथ लू और जो न दे उसे लटू मारू । जब अगरेजो लेना मरहठों से लड़ने में फंसो थों तब जसवन्तराव होलकर राजपूताने के राजाओं को जो उससे लड़ने की शक्ति न रखते थे लूट रहा था। यह राजा अङ्गरेजों की शरन में आ चुके थे। इस कारण लार्ड वेलेजलो ने होलकर से कहा कि इनको न सताओ और अपने देश को लौट जाओ। होलकर ने उत्तर दिया कि मैं नहीं जाऊंगा और सदा राजपूतों से चौथ लूंगा। गवर्नर जनरल का धर्म था कि सन्धिपत्र के अनुसार राजपूतों का पक्ष ले और उनकी रक्षा करे। १८०४ ई० में होलकर के साथ लड़ाई छेड़ दी गई। १०--गवर्नर जनरल को मालूम न था कि होलकर में कितनो शक्ति है और कितनी सेना उसके पास है इस लिये उसने बंगाल से करनैल मानसन को कुछ थोड़ो सो सेना दे कर सिन्धिया को एक सेना के साथ भेजा। करनैल मानसन को.भी होलकर या उस को सेना का कुछ पता न था । वह बेधड़क होलकर के देश में बढ़ा चला गया पर अचानक एक बझे सेना के बीच में घिर गया। सिन्धिया के सिपाही टट कर दूसरे पक्ष से जा मिले करनैल मानसन सहायता की आशा से मूर्खता करके आगरे की तरफ़ हटा। जूलाई का महीना था, मूसलाधार वर्षा हो रहो यो। नदियां बढ़ी हुई थीं , करनैल मानसन को आगरे पहुंचने में 1