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पृष्ठ:भारतीय प्राचीन लिपिमाला.djvu/२२८

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शुद्धिपत्र पृष्ट पंक्ति अशुद्ध शुद्ध प्रद्युम्नो वियन्मुनि चतुर्युगेनैते चैत्रशु द्यगणात् " पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध ११६ १ प्रद्यम्नो २७ वियन्मुनि २६ चतुर्यगत ३८ चत्रशु ६ द्यगणान् दिना- ४० वसुरक्षा ४० खेदिय ११७ १४ प्रत २५ मिल हुए ४१ गिते ४२ गणिते १६५ ३६ मालकाला १२ माननि २८ वशीखम्य १६०२४ गाथासमशति २६ नीचे लिख १६७ २६ मी, गुई. ३. मूचि २५ भते 1 . वसुपक्षाः खेद्रिय भंन के मिले हुए कई गाथामप्तति 40 जगह। ३ उपामवनाला ४४ पांडुरंग ४७ काव्यदर्श %3 सूनचल ११८ १४ उपयुक्त १६६ २० के पार १०वी १९०१० अखिन ११ अंधा ३२ गणाम्पस्तान् गुणित गुणित मृनुचल उपर्युक्त के श्रीर 10वीं अश्विन जंघा गुणाभ्यम्तान् गतम्य घगंवर्ग नाव १० या व थामन(न्नृप ३० प्रतिपति(निया मालवकाला ब्दानाम्रि वैशाखस्य गाथासप्तशती उनमें नीचे लिख फली गु ई. सूची मंत गाथासाशती उपनामवाला काशीनाथ पांडुरंग काव्यादर्श नायें ० या ११ व श्रीमनृन्नाप प्रनिपत्तिासिया उद्धृत ग्थमनग्यां गा उन्हीम पंष्ट्र चाहिये गारंगय अभी तक प्रवर्तमान ३१ DS ३८ गनस्थ " ४० बगऽवर्गे १७१ का ग्थमाभ्यां १७२ ३० गत्रा २३ उन्हीम . प्यु टिपण ५ में 0 २० पष्ट १२२ २५ युध १२३ ३३ टिप्पण में १०८ १९ २० १३० २३ लिपी ६ सीट 7gy चाहय गांगेय ७६ DO लिपि घसीट चौ १८ 75 अभी कन चो ३ प्रवनमान ३६ सीन ४ सवन १८७११ माहमाघ २४ प मासमगध ३१ त्रिपष्टयु ३६ म्मृत ५ है चो.२० १४० ३२ लिखत है। १४४ १८ १५ वी शताब्दी १६ टिका हैं और १४५ ४० अजमेर १४७० मंग १४६१ धर्मशाना १५० २० पीतः १५७ ३४ पखड़ी ३३ रात्री ३६ नेप्यम्दषु १६७४ शासात " लिखते हैं। १३वीं शताब्दी टिकाऊ प्रार अजमर महंग धर्माशात्रा पति पॅखड़ी गत्रि प्यम्नेषु शामति सवत्र ४० नर्मदातर संवत महामाघ वर्ष मासक्रमेणैव त्रिपष्टयु म्मृतं सर्वत्र नमदार प्रेम मंयुक्त बनना शनाम्दी पुडप्पु . १६. १६२ १२ मयुक्त .१ बननां २ शनब्दी २० पडुवैप्पु