पृष्ठ:भारतीय प्राचीन लिपिमाला.djvu/४८

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२१ प्राचीनलिपिमाला हिमिभरिटिक' लिपि के २२ अक्षरों में से केवल एक 'गिमेल' (ग) अक्षर टेढ़ा करने पर ब्रामी के 'ग' से मिलता है. अरमइक लिपि में से भी कंवल एक गिमल अक्षर 'ग' से मिलता है. खरोष्ठी लिपि की वर्णमाला के ३७ अक्षरों में से एक भी अक्षर ब्राधी लिपि में नहीं मिलता. लिपियों के इस मिलान को पढ़ कर पाठक लोग यह प्रश्न किये बिना न रहेंगे कि जब बूलर फिनिशिअन् लिपि के २२ अक्षरों से ब्राह्मी के २२ अक्षरों की उत्पत्ति बतलाता है नब तुम इन लिपियों के समान उच्चारण वाले अक्षरों में से केवल एक 'गिमल (ग) अक्षर की ब्राह्मी के 'ग' से समानता होना प्रकट करते हा यह क्या बात है? इसके उत्तर में मेरा कथन यह है कि पृष्ठ २३ में प्राचीन अक्षरी का एक नकशा दिया है जिसमें मिसर के हिअरंटिक, फिनिशिअन, हिभिरितिक (संधिअन्) और भरमहक लिपियों के प्राचीन अक्षर दिय हैं और उनके साथ ही साथ समान उच्चारण बाल ग्वरोष्ठी नथा ब्राह्मी अक्षर भी दिया है. उनका परस्पर मिलान करने से पाठकों को मालूम हो ही जायगा कि समिटिक और ब्राह्मी लिपि में वास्तविक समानता कितनी सी है तो भी उनको यह जिज्ञासा रह जाया कि समान उच्चारण वाल अक्षा न परस्पर मिलतं नहीं, ऐसी दशा में कूलर ने फिनिशिअन् के २२ अक्षरा सं, जो ब्राली १८ उच्चारणां" का है। काम दे सकते हैं, ब्राह्मी के २२ अक्षरों का निकलना कसे बता दिया. इस लिये हम वूलर मिलान का कुछ परिचय यहा करा देते है. समिटिक और ब्राह्मी लिपि की बनावट में बड़ा अंतर यह है कि फिनिशियन् आदि अक्षरों का ऊपर का भाग बहुधा स्थूल' होता है और नीचे का भाग ग्बई। या तिरछी लकीर से बनता है परंतु ब्राह्मी अक्षरों में से अधिक अक्षरी का ऊपर का माग पतनी लकार से प्रारंभ होता है और नाच मा कर स्थूल यनना है. इस पम्य कोकण कलि बेलर ने यह मान लिया कि हिंदुओं ने [कितनं एक] सेमिटिक अक्षय को उलट दिया है अर्थात् उनका ऊपर का हिस्सा नाच और नाच का । मुसल्मानी धर्म के प्रादुभाव स बत दल दक्षिण अमभिनिशिअन् स कुछ है। मिलना हुँः एक प्रकार का लिपि प्रचलित थी जिसकी मिसिंगक क... रतला. प्राग्रीन लख का सवा' नामक राज्य मशिप मिलने के कारण उसी लिपिकी सबिअन मी कहना ग्रीक (यूनाना) लोग जिस प्रश का मा. श्रा क..14.41 उमाका प्राचीन सांभांटक भाषा म अग्म कहत थे. उस अनर्गत पराया पश्चिम का मामला प्रदेश या नियाय लिम्टाइन का वहाकी भाषा श्री लिपि को अरमइक या अर्गअन काहन उम नकशे में दम खड़ा किया बना. ग.. जिन Hit पति माटिक माला क अक्ष के नाम तथा उनकी यनिक सूचक अक्षर नाग। म दिया। दूसरी तिमभिसर को हियटक लिपि + अक्षर दिय हे (पत्रि, जिल्द २, पृ ६०० से नवा संस्करण ), तासगम प्राचीन फिनिशिअन अक्षर (Maiज, पृ. ६.०), चौथी में मांश्रय के राजा मंशा केस पर कोनी शताब्दी के शिलालेखम किनाशन अनार (iiज ३३, पृ.२ मंदमया मस्क- ग) पाचवा में हमिटिक लिपिके अक्षर (प.in it.३३ पृ). छठी ममा मे), टॉमा (अग्य में) आदि का स. पूर्व की पाचवी शताब्दी के शिला लखामअरमहा अना: प.जि २४, के सामने के सटम), सातवा म मिसरपंपायम्सास अन् महक अक्षर। जि२४, पृ. ८) आठवी में डॉ. मर जॉन मार्शल के उद्योग संतक्षशिला स मिल हुए इ.स. पूर्व की बाथी शनान्दी के अम्माक लख के फाटा (ज. गं.ए.मा; ई.स. १६१५, पृ. ३४० के सामन केलेट से अक्षर छाटे गये है, न मममान उच्चारगा चाल खराठा अक्षर अशाक के लखा सलिय है, और दसवी में समान उच्चारण वाले ब्रामी लिपि के अक्षर अशाक के लखीम उद्धत किये गये है. जैसे अंग्रेजी में C (स), (क) र ५ ( क्यू ) ये नान अक्षर क' की ध्वनि के सूचक है और उर्दू में से सान् और म्वाद'-'सकानिक सूचक माफिनिशिअन अक्षरों में भी पाठ अक्षर एस ह जो चार ही उच्चारण का काम त अथात् 'भार ia', जिससे अग्थी का 'है' और अंग्रता का II ऍच' निकला) इन दोनों संह तथ' (जिस अरबी का तॉय') और 'ताय(जिससं 'ते' -निकला) दोनी से 'त', 'काफ' और 'क्रॉफ से 'क, पंस । सामन्य' (जिसस अरबी का सीन 1) आर 'त्साधे' (जिम स 'खान'- निकला) से 'स' का उच्चारण होता है, जिससे फिनिशियन् २९ अक्षर ब्राह्मी १८ उच्चारण काही काम दे सकते है. देखो आगे पृष्ठ २३ में दिया हुआ नक्शा देखा लिपिपत्र पहिला. 3