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प्यारे!
निश्चय इस ग्रंथ से तुम बड़े प्रसन्न होगे; क्योंकि अच्छे लोग अपनी कीर्ति से बढ़कर अपने जन की कीर्त्ति से संतुष्ट होते हैं। इस हेतु इस होली के आरंभ के त्योहार माघी-पूर्णिमा में हे धनंजय और निधनंजय के मित्र ! यह धनंजय-विजय तुम्हे समर्प्पित है, स्वीकार करो।
तुम्हारा
ह--