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भारतेंदु-नाटकावली

रानी---हॉ, गुरुजी से तो सब समाचार कहला भेजा है। देखो, वह क्या करते हैं।

सखी---हे भगवान्! हमारे महाराज, महारानी, कुँवर सब कुशल से रहें, मैं आँचल पसार के यह वरदान माँगती हूँ।

( ब्राह्मण * आता है )

ब्रा०---( आशीर्वाद देता है )

स्वस्त्यस्तु ते कुशलमस्तु चिरायुरस्तु
गोवाजिहस्तिधनधान्यसमृद्धिरस्तु।
ऐश्वर्यमस्तु कुशलोस्तु रिपुक्षयोस्तु।
संतानवृद्धिसहिता हरिभक्तिरस्तु॥

( रानी हाथ जोड़कर प्रणाम करती है )

ब्रा०---महाराज! गुरुजी ने यह अभिमंत्रित जल भेजा है। इसे महारानी पहिले तो नेत्रों से लगा ले और फिर थोड़ा सा पान भी कर ले और यह रक्षाबंधन भेजा है, इसे कुमार रोहिताश्व की दहनी भुजा पर बाँध दें, फिर इस जल से मैं मार्जन करूँगा।

रानी---( नेत्रों में जल लगाकर और कुछ मुँह फेरकर आचमन करके ) मालती! यह रक्षाबंधन तू सम्हाल के


  • धोती, उपरना, सिर पर चुंदी वा सिर पर बाल, डाढ़ी, हाथों

में पवित्री, तिलक, खड़ाऊँ।