पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/५४२

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उपसंहार----( ख )

इस नाटक के विषय में विलसन साहिब लिखते हैं कि यह नाटक और नाटकों से अति विचित्र है, क्योंकि इसमें संपूर्ण राजनीति के व्यवहारो का वर्णन है। चंद्रगुप्त ( जो यूनानी लोगो का सैद्रोकोत्तस Sandrocottus है ) और पाटलिपुत्र ( जो यूरप की पालीबोत्तरा Palibothra है ) के वर्णन का ऐतिहासिक नाटक होने के कारण यह विशेष दृष्टि देने के योग्य है।

इस नाटक का कवि विशाखदत्त, महाराज पृथु का पुत्र और सामंत वटेश्वरदत्त का पौत्र था। इस लिखने से अनुमान होता है कि दिल्ली के अंतिम हिंदूराजा पृथ्वीराज चौहान ही का पुत्र विशाखदत्त है, क्योकि अंतिम श्लोक से विदेशी शत्रु की जय की ध्वनि पाई जाती है, भेद इतना ही है कि रायसे में पृथ्वीराज के पिता का नाम सोमेश्वर और दादा का आनंद लिखा है। मैं यह अनुमान करता हूँ कि सामंत वटेश्वर इतने बड़े नाम को कोई शीघ्रता में या लघु करके कहे तो सोमेश्वर हो सकता है और संभव है कि चंद ने भाषा में सामंत वटेश्वर को ही सोमेश्वर लिखा हो।