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भारतेंदु-नाटकवली

ही है। सोन के किनारे मावलीपुर एक स्थान है जिसका शुद्ध नाम महाबलीपुर है। महाबली नंद का नामांतर भी है, इसी से और वहाँ प्राचीन चिह्न मिलने से कोई-कोई शंका करते हैं कि बलीपुर वा बलीपुत्र का पालीबात्रा अपभ्रंश है, किंतु यह भी भ्रम ही है। राजाओ के नाम से अनेक ग्राम बसते हैं इसमें कोई हानि नहीं, किंतु इन लोगों की राजधानी पाटलिपुत्र ही थी।

कुछ विद्वानो का मत है कि मग लोग मिश्र से आए और यहाँ आकर Isiris और Osiris नामक देव और देवी की पूजा प्रचलित की। यह दोनो शब्द ईश और ईश्वरी के अपभ्रंश बोध होते हैं। किसी पुराण में "महाराज दशरथ ने शाक-द्वीपियों को बुलाया" यह लिखा है। इस देश में पहले कोल और चेरु ( चोल ) लोग बहुत रहते थे। शुनक और अजक इस वंश में प्रसिद्ध हुए। कहते हैं कि ब्राह्मणो ने लड़कर इन दोनों को निकाल दिया। इसी इतिहास से भुइँहार जाति का भी सूत्रपात होता है और जरासंध के यज्ञ से भुइँहारो की उत्पत्तिवाली किंवदंती इसका पोषण करती है। बहुत दिन तक ये युद्धप्रिय ब्राह्मण यहाँ राज्य करते रहे। किंतु एक जैन पंडित 'जो ८०० वर्ष ईसामसीह के पूर्व हुआ है' लिखता है कि इस देश के प्राचीन राजा को मग नामक राजा ने जीतकर निकाल दिया। कहते हैं कि बिहार के पास बारागंज में इसके किले का चिह्न भी है। यूनानी विद्वानो और वायु पुराण के मत से उद्याश्व