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भारतदुर्दशा


शकैगा, परंतु जो शब लोग एक मत्त होगा। (करतल-ध्वनि) देखो हमारा बंगाल में इसका अनेक उपाय शाधन होते हैं। ब्रिटिश इंडियन असोसिएशन लीग इत्यादि अनेक शभा भी होते हैं। कोई थोड़ा बी बात होता हम लोग मिल के बड़ा गोल करते। गवर्नमेंट तो केवल गोल-माल शे भय खाता। और कोई तरह नहीं शोनता। ओ हुआँ का अखबारवाला सब एक बार ऐसा शोर करता कि गवर्नमेंट को अलबत्त शुनने होता। 'किंतु हेंयाँ, हम देखते है कोई कुछ नहीं बोलता। आज शब आप सभ्य लोग एकत्र है, कुछ उपाय इसका अवश्य शोचना चाहिए। (उपवेशन)


प० देशी--(धीरे से) यहीं, मगर जब तक कमेटी में है तभी तक। बाहर निकले कि फिर कुछ नहीं!


दू० देशी--(धोरे से) क्यो भाई साहब, इस कमेटी में आने से कमिश्नर हमारा नाम तो दरबार से खारिज न कर देंगे?


एडिटर--(खड़े होकर) हम अपने प्राणपण से भारतदुर्दैव को हटाने को तैयार है। हमने पहिले भी इस विषय में एक बार अपने पत्र में लिखा था परंतु यहाँ तो कोई सुनता ही नहीं। अब जब सिर पर ‌आफत आई तो आप लोग उपाय सोचने लगे। भला अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है जो कुछ सोचना हो जल्द सोचिए। (उपवेशन)