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भारत का संविधान

 

भाग ५—संघ—अनु॰ ८०–८१

(३) खंड १ के उपखंड (क) के अधीन राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्देशित किये जाने वाले सदस्य ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें निम्न प्रकार के विषयों के बारे में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव है, अर्थात्—

साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवा।

(४) राज्य-सभा के लिये [१]* * * प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधि उस राज्य की विधान-सभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा अनुपाती प्रतिनिधित्व-पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा निर्वाचित होंगे।

(५) राज्य-सभा के लिये [२][संघ राज्य-क्षेत्रों के प्रतिनिधि ऐसी रीति से चुने जायेंगे जैसी कि संसद् विधि द्वारा विहित करे। लोक-सभा की
रचना

[३][४]८१. (१) अनुच्छेद ३३१ के उपबन्धों के अधीन रहते हुए लोक सभा—

(क) राज्यों में प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने हुए पांच सो से अनधिक सदस्यों, और
(ख) संघ राज्यक्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिये ऐसी रीति में, जैसी कि संसद् विधि द्वारा उपबन्धित करे, चुने हुए बीस से अनधिक सदस्यों से मिल कर बनगी।

(२) खंड (१) के उपखंड (क) के प्रयोजनों के लिये—

(क) प्रत्येक राज्य के लिये लोकमभा में स्थानों की संख्या की बाँट ऐसी रीति में होगी कि उस संख्या से राज्य की जनसंख्या का अनुपात समस्त राज्यों के लिये यथासाध्य एक ही होगा, और
(ख) प्रत्येक राज्य को प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में ऐसी रीति में विभाजित किया जाएगा कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की जनसंख्या का उस को आबंटित स्थानों की संख्या से अनुपात समस्त राज्य में यथा साध्य एक ही होगा।

(३) इस अनुच्छेद में "जन संख्या" पद से ऐसी अन्तिम पूर्वगत जनगणना में, जिसके तत्संबंधी आंकड़े प्रकाशित हो चुके हैं, निश्चित की गई जनसंख्या अभिप्रेत है।


  1. "प्रथम अनुसूची के भाग (क) या भाग (ख) में उल्लिखित" शब्द और अक्षर संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम १९५६, धारा ३ द्वारा लुप्त कर दिये गये।
  2. "प्रथम अनुसूची के भाग (ग) में उल्लिखित राज्यों" के स्थान पर उपरोक्त के ही द्वारा रखे गये।
  3. अनुच्छेद ८१ और ८२ के स्थान पर उपरोक्त की ही धारा ४ द्वारा रखे गये।
  4. टिप्पणी:—संविधान (कठिनाइयाँ दूर करना) आदेश संख्या ८ की कंडिका २ में निम्नलिखित उपबन्ध किया गया है—
    संविधान की षष्ठ अनुसूची की कंडिका २० से संलग्न सारणी के भाग (ख) या उसके किन्हीं भागों में उल्लिखित आदिमजाति क्षेत्रों का जिस कालावधि के लिये उक्त अनुसूची की कंडिका १८ की उपकंडिका (२) के बल पर राष्ट्रपति द्वारा प्रशासन किया जाता है उस के दौरान भारत का संविधान निम्नलिखित अनुकूलनों के अध्यधीन प्रभावी होगा, अर्थात—
    (१) अनुच्छेद ८१ में,—
    (क) खंड (१) के उपखंड (ख) में "संघ राज्य क्षेत्रों" शब्दों के पश्चात् "और षृष्ठ अनुसूची की कंडिका २० से संलग्न सारणी के भाग (ख) में उल्लिखित आदिमजाति क्षेत्रों" शब्द, अक्षर और अंक अन्तःस्थापित कर दिये जायेंगे, और
    (ख) खंड (२) में निम्नलिखित परन्तु क जोड़ दिया जाएगा, अर्थात्—
    "परन्तु आसाम राज्य जिन निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया जाए उनमें षष्ठ अनुसूची की कंडिका २० से संलग्न सारणी के भाग (ख) में उल्लिखित आदिमजाति क्षेत्र समाविष्ट न होंगे।"
    अनुच्छेद ८१ जम्मू और कश्मीर राज्य को इस रूपभेद के अधीन रह कर लागू होगा कि लोकसभा में उस राज्य के प्रतिनिधि उस राज्य के विधान-मंडल की सिपारिश पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त होंगे।