पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/१६१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५९
भारत का संविधान

 

भाग ६—राज्य—अनु॰ १६१–१६४

क्षमा आदि की तथा
कुछ अभियोगों
में दंडादेश के
निलम्बन, परि-
हार या लघुकरण
करने की राज्य-
पाल की शक्ति
१६१. जिस विषय पर किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है उस विषय सम्बन्धी किसी विधि के विरुद्ध किसी अपराध के लिये सिद्धदोष किसी व्यक्ति के दंड की क्षमा, प्रविलम्बन, विराम, या परिहार करने की, अथवा दंडादेश का निलम्बन, परिहार या लघुकरण करने की उस राज्य के राज्यपाल को शक्ति होगी।

 

राज्य की कार्य-
पालिका शक्ति
का विस्तार
१६२. इस संविधान के उपबन्धों के अधीन रहते हुए प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार उन विषयों तक होगा जिनके बारे विधानमंडल को विधि बनाने की शक्ति है :

परन्तु जिस विषय के बारे में राज्य के विधानमंडल और संसद् को विधि बनाने की शक्ति है उस में राज्य की कोई कार्यपालिका शक्ति इस संविधान द्वारा, अथवा संसद् निर्मित किसी विधि द्वारा संघ या उसके प्राधिकारी को स्पष्टता पूर्वक प्रदत्त शक्ति के अधीन रह कर और से परिसीमित हो कर, ही होवेगी।

मंत्रि-परिषद्

राज्यपाल को सहा-
यता और मंत्रणा
देने के लिये
मंत्रि-परिषद्
१६३. (१) जिन बातों में इस संविधान द्वारा या इसके अधीन राज्यपाल से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपने कृत्यों अथवा उनमें से किसी को स्वविवेक से करे उन बातों को छोड़ कर राज्यपाल को अपने कृत्यों का निर्वहन करने में सहायता और मंत्रणा देने के लिये एक मंत्री-परिषद् होगी जिस का प्रधान मुख्यमंत्री होगा।

(२) यदि कोई प्रश्न उठता है कि कोई विषय ऐसा है या नहीं कि जिस के सम्बन्ध में इस संविधान के द्वारा या अधीन राज्यपाल से अपेक्षित है कि वह स्वविवेक से कार्य करे तो राज्यपाल का स्वविवेक से किया हुआ विनिश्चय अन्तिम होगा तथा राज्यपाल द्वारा की गई किसी बात की मान्यता पर इस कारण से कोई आपत्ति न की जायेगी कि उसे स्वविवेक से कार्य करना, या न करना चाहिये था।

(३) क्या मंत्रियों ने राज्यपाल को कोई मंत्रणा दी, और यदि दी तो क्या दि, इस प्रश्न की किसी न्यायालय में जांच न की जायेगी।

मंत्रियों सम्बन्धी
अन्य उपबन्ध
१६४. (१) मुख्य मंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल मुख्य मंत्री की मंत्रणा से करेगा तथा राज्यपाल के प्रसाद पर्यन्त मंत्री अपने पद धारण करेंगे :

परन्तु उड़ीसा, बिहार और मध्यप्रदेश राज्यों में आदिमजातियों के कल्याण के लिये भी रसाधक एक मंत्री होगा जो साथ साथ अनुसूचित जातियों और पिछड़े हुए वर्गों के कल्याण का, अथवा किसी अन्य कार्य का भी भार साधक हो सकेगा।

(२) मंत्रि-परिषद् राज्य की विधान-सभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी।