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भारत का संविधान

भाग ६—राज्य—अनु॰ १९९—२०२

(४) अनुच्छेद १९८ के अधीन जब धन-विधेयक विधान परिषद् को भेजा जाता है तथा जब वह अनुच्छेद २०० के अधीन अनुमति के लिये राज्य के राज्यपाल के समक्ष उपस्थित किया जाता है तब प्रत्येक धन-विधेयक पर विधान-सभा के अध्यक्ष के हस्ताक्षर सहित यह प्रमाण अंकित रहेगा कि वह धन-विधेयक है।

विधेयकों पर
अनुमति
२००. जब राज्य की विधान सभा द्वारा, अथवा विधान-परिषद् वाले राज्य में विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा, कोई विधेयक पारित कर दिया गया हो तब वह राज्यपाल के समक्ष उपस्थित किया जायेगा तथा राज्यपाल यह घोषित करेगा कि वह विधेयक पर या तो अनुमति देता है या अनुमति रोक लेता है अथवा विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ रक्षित कर लेता है :

परन्तु राज्यपाल अनुमति के लिये अपने समक्ष विधेयक रखे जाने के पश्चात् यथाशीघ्र उस विधेयक को, यदि वह धन-विधेयक नहीं है तो, सदन या सदनों को ऐसे संदेश के साथ लौटा सकेगा कि सदन या दोनों सदन विधेयक पर अथवा उस के किन्हीं उल्लिखित उपबन्धों पर पुनर्विचार कर तथा विशेषतः किन्हीं ऐसे संशोधनों के पुर:स्थापन की वांछनीयता पर विचार करें जिन की उसने अपने संदेश में सिपारिश की हो तथा जब विधेयक इस प्रकार लौटा दिया गया हो तब सदन या दोनों सदन विधेयक पर तदनुसार पुनर्विचार करेंगे तथा यदि विधेयक सदन या सदनों द्वारा संशोधन सहित या रहित पुनः पारित हो जाता है तथा राज्यपाल के समक्ष अनुमति के लिये रखा जाता है तो राज्यपाल उस पर अनुमति न रोकेगा :

परन्तु यह और भी कि जिस विधेयक से, यदि वह विधि हो गया तो, राज्यपाल की राय में उच्चन्यायालय की शक्तियों का ऐसा अल्पीकरण होगा कि वह स्थान, जिस की पूर्ति के लिये वह न्यायालय इस संविधान द्वारा बनाया गया है, संकटापन्न हो जायेगा, उस विधेयक पर राज्यपाल अनुमति न देगा किन्तु उसे राष्ट्रपति के विचारार्थ रक्षित रखेगा।

विचारार्थ रक्षित
विधेयक
२०१. राज्यपाल द्वारा जब कोई विधेयक राष्ट्रपति के विचारार्थ रक्षित कर लिया जाये तब राष्ट्रपति यह घोषित करेगा कि वह विधेयक पर या तो सम्मति देता है या सम्मति रोक लेता है :

परन्तु जहां विधेयक धन-विधेयक नहीं है, वहां राष्ट्रपति राज्यपाल को यह आदेश दे सकेगा कि वह विधेयक को यथास्थिति राज्य के विधानमंडल के सदन को या सदनों को ऐसे संदेश सहित, जैसा कि अनुच्छेद २०० के पहिले परन्तुक में वर्णित है, लौटा दे, तथा जब कोई विधेयक इस प्रकार लौटा दिया जाये तब ऐसे संदेश के मिलने की तारीख से छ:महीने की कालावधि के अंदर सदन या सदनों द्वारा उस पर तदनुसार फिर से विचार किया जायेगा तथा, यदि वह संशोधन के सहित या बिना सदन या सदनों द्वारा फिर से पारित हो जाता है, तो राष्ट्रपति के समक्ष उस के विचार के लिये पुनः उपस्थित किया जायेगा।

वित्तीय विषयों में प्रक्रिया

वार्षिक-वित्त
विवरण
२०२. (१) प्रत्येक वित्तीय वर्ष के बारे में, राज्य के विधानमंडल के सदन अथवा सदनों के समक्ष, राज्यपाल उस राज्य की उस वर्ष के लिये प्राक्कलित प्राप्तियों और व्ययों का विवरण रखवायेगा जिसे इस संविधान के इस भाग में "वार्षिक-वित्त-विवरण" के नाम से निर्दिष्ट किया गया है।

13—1 Law/57