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भारत का संविधान


भाग ६—राज्य—अनु॰ २०९—२१३

राज्य के विधान-
मंडल में वित्तीय
कार्य सम्बन्धी
प्रक्रिया का विधि
द्वारा विनियमन
२०९. वित्तीय कार्य को समय के अन्दर समाप्त करने के प्रयोजन से किसी राज्य का विधानमंडल विधि द्वारा, किसी वित्तीय विषय से अथवा राज्य की संचित निधि में से धन का विनियोग करने वाले किसी विधेयक से सम्बन्धित राज्य के विधानमंडल के सदन या सदनों की प्रक्रिया और कार्य-संचालन का विनियमन कर सकेगा तथा यदि, और जहां तक, इस प्रकार बनाई हुई किसी विधि का कोई उपबन्ध अनुच्छेद २०८ के खंड (१) के अधीन राज्य के विधानमंडल के सदन या किसी सदन द्वारा बनाये गये, नियम से, अथवा उस अनुच्छेद के खंड (२) के अधीन राज्य के विधानमंडल के सम्बन्ध में प्रभावी किसी नियम या स्थायी आदेश से, असंगत है तो, और वहां तक, ऐसा उपबन्ध अभिभावी होगा।

विधानमंडल में
प्रयोग होने वाली
भाषा
२१०. (१) भाग १७ में किसी बात के होते हुए भी किन्तु अनुच्छेद ३४८ के उपबन्धों के अधीन रहते हुए राज्य के विधानमंडल में कार्य राज्य की राजभाषा या भाषाओं में या हिन्दी में या अंग्रेजी में किया जायेगा :

परन्तु यथास्थिति विधान सभा का अध्यक्ष या विधान-परिषद् का सभापति अथवा ऐसे रूप में कार्य करने वाला व्यक्ति किसी सदस्य को, जो उपर्युक्त भाषाओं में से किसी में अपनी पर्याप्त अभिव्यक्ति नहीं कर सकता, अपनी मातृभाषा में सदन को सम्बोधित करने की अनुज्ञा दे सकेगा।

(२) जब तक राज्य का विधानमंडल विधि द्वारा अन्यथा उपबन्ध न करे, तब तक इस संविधान के प्रारम्भ से पंद्रह वर्ष की कालावधि की समाप्ति के पश्चात यह अनुच्छेद ऐसे प्रभावी होगा मानो कि "या अंग्रेजी में" ये शब्द उसमें से लुप्त कर दिये गये हैं।

विधानमंडल में
चर्चा पर निर्बन्धन
२११. उच्चतमन्यायालय या किसी उच्चन्यायालय के किसी न्यायाधीश के अपने कर्तव्य पालन में किये गये आचरण के विषय में राज्य के विधान-मंडल में कोई चर्चा न होगी।

 

न्यायालय विधान-
मंडल की
कार्यवाहियों की
जांच न करेंगे
२१२. (१) प्रक्रिया में किसी कथित अनियमिता के आधार पर राज्य के विधानमंडल की किसी कार्यवाही की मान्यता पर कोई आपत्ति न की जायेगी।

(२) राज्य के विधानमंडल का कोई पदाधिकारी या सदस्य, जिसमें इस संविधान के द्वारा या अधीन उस विधानमंडल में प्रक्रिया को या कार्य-संचालन को विनियमन करने की अथवा व्यवस्था रखने की शक्तियां निहित हैं उन शक्तियों के अपने द्वारा किये गये प्रयोग के विषय में किसी न्यायालय के क्षेत्राधिकार के अधीन न होगा।

अध्याय ४.—राज्यपाल की विधायिनी शक्तियां

विधानमंडल
विश्रान्तिकाल में
राज्यपाल की
अध्यादेश प्रख्यापन
शक्ति
२१३. (१) उस समय को छोड़ कर जब कि राज्य की विधान-सभा, तथा विधान-परिषद् वाले राज्य में विधानमंडल के दोनों सदन सत्र में हैं यदि किसी समय राज्यपाल का समाधान हो जाये कि तुरन्त कार्यवाही करने के लिये उसे बाधित करने वाली परिस्थितियां वर्तमान हैं तो वह ऐसे अध्यादेशों का प्रख्यापन कर सकेगा जो उसे परिस्थितियों से अपेक्षित प्रतीत हों :

परन्तु राष्ट्रपति के अनुदेशों के बिना राज्यपाल कोई ऐसा अध्यादेश प्रख्यापित न करेगा यदि–

(क) वैसे ही उपबन्ध अन्तर्विष्ट रखने वाले विधेयक को विधानमंडल में पुरःस्थापित किये जाने के लिये राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी की अपेक्षा होती, अथवा।