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भारत का संविधान


भाग ६—राज्य—अनु॰ २१५—२१७

उच्चन्यायालय
अभिलेख
न्यायालय होंगे
२१५. प्रत्येक उच्चन्यायालय अभिलेख-न्यायालय होगा तथा उसे अपने अवमान के लिये दंड देने की शक्ति के सहित ऐसे न्यायालय की सब शक्तियां होंगी।

 

उच्चन्यायालयों
का गठन
२१६. प्रत्येक उच्चन्यायालय मुख्य न्यायाधिपति तथा ऐसे अन्य न्यायाधीशों से मिल कर बनेगा जिन्हें राष्ट्रपति समय समय पर नियुक्त करना आवश्यक समझे।

[१]

उच्चन्यायालय के
न्यायाधीश की
नियुक्ति तथा उस
के पद की शर्तें
२१७. (१) भारत के मुख्य न्यायाधिपति से, उस राज्य के राज्यपाल से तथा मुख्य न्यायाधिपति को छोड़ कर अन्य न्यायाधीश की नियुक्ति की दशा में, उस राज्य के उच्चन्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति से परामर्श करके राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा उच्चन्यायाल के प्रत्येक न्यायाधीश को नियुक्त करेगा तथा वह न्यायाधीश [२][अपर या कार्यकारी न्यायाधीश की अवस्था में अनुच्छेद २२४ में यथा उपबन्धित के अनुसार, और किसी अन्य दशा में तब तक जब तक कि वह साठ वर्ष की आयु प्राप्त न करले, पद धारण करेगा]

परन्तु—

(क) कोई न्यायाधीश राष्ट्रपति को सम्बोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपने पद को त्याग सकेगा;
(ख) उच्चतमन्यायालय के न्यायाधीश के हटाने के हेतु इस संविधान के अनुच्छेद १२४ के खंड (४) में उपबन्धित रीति से कोई न्यायाधीश अपने पद से राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकेगा;
(ग) किसी न्यायाधीश का पद, राष्ट्रपति द्वारा उसे उच्चतमन्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किये जाने पर अथवा राष्ट्रपति द्वारा उसे भारत राज्यक्षेत्र में के अन्य उच्चन्यायालय को स्थानान्तरित किये जाने पर, रिक्त कर दिया जायेगा।

(२) किसी उच्चन्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिये कोई व्यक्ति तब तक अर्ह न होगा जब तक कि वह भारत का नागरिक न हो, तथा—

(क) भारत राज्य-क्षेत्र में कम से कम दस वर्ष तक न्यायिक पद धारण न कर चुका हो; अथवा
(ख) [३]* * * उच्चन्यायालय का अथवा ऐसे दो या अधिक न्यायालयों का लगातार कम से कम दस वर्ष तक अधिवक्ता न रह चुका हो।

व्याख्या—इस खंड के प्रयोजनों के लिये—

(क) किसी उच्चन्यायालय के अधिवक्ता रहने की कालावधि की संगणना के अन्तर्गत वह कोई कालावधि भी होगी जिसमें किसी व्यक्ति ने अधिवक्ता होने के पश्चात् न्यायिक पद धारण किया हो;

  1. परन्तुक संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा ११ द्वारा लुप्त कर दिया गया।
  2. उपरोक्त की ही धारा १२ द्वारा "तब तक पद धारण करेगा, जब तक कि वह साठ वर्ष की आयु प्राप्त न कर ले" के स्थान पर रखे गये।
  3. "प्रथम अनुसूची में उल्लिखित किसी राज्य में के" शब्द संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।