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भारत का संविधान


भाग ६—राज्य—अनु॰ २३६—२३७

निर्वचन२३६. (१) इस अध्याय में—

(क) "जिला-न्यायाधीश" पदावलि के अन्तर्गत नगर-व्यवहार-न्यायालय का न्यायाधीश, अपर जिला न्यायाधीश, संयुक्त जिला-न्यायाधीश, सहायक जिला-न्यायाधीश, लघुवाद-न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश, मुख्य प्रेसीडेन्सी-दंडाधिकारी, अपर मुख्य प्रेसीडेन्सी-दंडाधिकारी, सत्त्-न्यायाधीश, अपर सत्त्-न्यायाधीश और सहायक सत्त्-न्यायाधीश भी हैं।
(ख) "न्यायिक सेवा" पदावलि से ऐसी सेवा अभिप्रेत है, जो केवल ऐसे व्यक्तियों से मिल कर बनी है, जो जिला-न्यायाधीश के पद तथा जिला-न्यायाधीश-पद से निचले अन्य व्यवहार न्यायिक पदों को भरने के लिये उद्दिष्ट है।

कुछ प्रकार या
प्रकारों के दंडा-
धिकारियों पर इस
अध्याय के उपबन्धों
का लागू होना
२३७. राज्यपाल सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा निदेश दे सकेगा कि इस अध्याय के पूर्वगामी उपबन्ध तथा उन के अधीन बनाये गये कोई नियम ऐसी तारीख से, जो कि वह उस बारे में नियत करे, राज्य के किसी प्रकार या प्रकारों के दंडाधिकारियों के संबंध में ऐसे अपवादों और रूपभेदों के अधीन रह कर, जैसे कि अधिसूचना में उल्लिखित हों, वैसे ही लागू होंगे जैसे कि वे राज्य की न्यायिक सेवा में नियुक्त व्यक्तियों के संबंध में लागू होते हैं।