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पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/२१७

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भाग ८

[][संघ राज्य-क्षेत्र]

संघ राज्य-क्षेत्रों का
प्रशासन
[][२३९. (१) संसद् द्वारा विधि द्वारा अन्यथा उपबन्धित अवस्था को छोड़कर, प्रत्येक संघ राज्य क्षेत्र का प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा किया जायेगा तथा वह इस बारे में उस मात्रा तक, जितनी कि वह उचित समझे, अपने द्वारा ऐसे नाम से, जैसा कि वह उल्लिखित करे, नियुक्त किये जाने वाले प्रशासक के द्वारा कार्य करेगा।

(२) भाग ६ में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुये भी राष्ट्रपति किसी राज्य के राज्यपाल को किसी पार्श्वस्थ संघ राज्य-क्षेत्र का प्रशासक नियुक्त कर सकेगा और जहां कोई राज्यपाल इस प्रकार नियुक्त किया गया है वहां वह ऐसे प्रशासक के रूप में अपने कृत्यों को अपनी मंत्रि-परिषद् से स्वतंत्र रूपेण करेगा।

कुछ संघ राज्य-क्षेत्रों
के लिए विनियम
बनाने की राष्ट्रपति
की शक्ति
२४०. (१) राष्ट्रपति—

(क) अन्डमान और निकोबार द्वीप,
(ख) लक्कादीव, मिनिकोय और अमीनदीवी द्वीप,

संघ राज्य-क्षेत्र की शांति, उन्नति और सुशासन के लिये विनियम बना सकेगा।

(२) इस प्रकार बना हुआ कोई विनियम संसद् निर्मित किसी अधिनियम या किसी वर्तमान विधि का, जो उस संघ राज्यक्षेत्र में तत्समय लागू है, निरसन या संशोधन कर सकेगा और राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित होने पर उसका उस राज्य-क्षेत्र में लागू संसद् निर्मित अधिनियम के जैसा ही बल और प्रभाव होगा।]

संघ राज्य-क्षेत्रों के
लिये उच्चन्यायालय
२४१. (१) संसद् विधि द्वारा [][संघ राज्य-क्षेत्र] के लिये उच्चन्यायालय गठित कर सकेगी अथवा [][ऐसे किसी राज्य-क्षेत्र] में के किसी न्यायालय को इस संविधान के प्रयोजनों में से सब या किसी के लिये उच्चन्यायालय घोषित कर सकेगी।

(२) खंड (१) में निर्दिष्ट प्रत्येक उच्चन्यायालय के संबंध में भाग (६) के अध्याय (५) के उपबंध, ऐसे रूपभेदों और अपवादों के अधीन रह कर, जैसे कि संसद् विधि द्वारा उपबन्धित करे, वैसे ही लागू होंगे जैसे कि वे इस संविधान के अनुच्छेद २१४ में निर्दिष्ट किसी उच्चन्यायालय के संबंध में लागू होते हैं।

[][(३) इस संविधान के उपबन्धों के, तथा इस संविधान के द्वारा या अधीन समुचित विधानमंडल को दी गयी शक्तियों के आधार पर उस विधानमंडल द्वारा निर्मित किसी विधि के उपबन्धों के अधीन रहते हुये प्रत्येक उच्चन्यायालय, जो संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६ के प्रारंभ से ठीक पहले किसी संघ राज्य-क्षेत्र के संबंध में क्षेत्राधिकार का प्रयोग करता था, ऐसे प्रारंभ के पश्चात् उस राज्य-क्षेत्र के संबंध में वैसे क्षेत्राधिकार का प्रयोग करता रहेगा।


  1. संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा १७ द्वारा मूल शीर्षक "प्रथम अनुसूची के भाग (ग) में के राज्य" के स्थान पर रखा गया।
  2. उपरोक्त के ही द्वारा मूल अनुच्छेद २३९ और २४० के स्थान पर रखे गये।
  3. संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा "प्रथम अनुसूची के भाग (ग) में उल्लिखित किसी राज्य" के स्थान पर रखे गये।
  4. उपरोक्त के ही द्वारा "ऐसे किसी राज्य" के स्थान पर रखे गये गये।
  5. उपरोक्त के ही द्वारा मूल खंड (३) और (४) के स्थानों पर रखे गये।