पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/२२५

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भाग ११
संघ और राज्यों के सम्बन्ध
अध्याय १—विधायी सम्बन्ध
विधायिनी शक्तियों का वितरण

संसद् तथा राज्यों
के विधानमंडलों
द्वारा निर्मित
विधियों का विस्तार
२४५. (१) इस संविधान के उपबन्धों के अधीन रहते हुए संसद् भारत के सम्पूर्ण राज्य-क्षेत्र अथवा उस के किसी भाग के लिये विधि बना सकेगी, तथा किसी राज्य का विधानमंडल उस सम्पूर्ण राज्य के अथवा उस के किसी भाग के लिये विधि बना सकेगा।

(२) संसद् द्वारा निर्मित कोई विधि, इस कारण से कि उसका राज्य-क्षेत्रातीत प्रवर्तन होगा, अमान्य नही समझी जायेगी।

संसद् द्वारा तथा
राज्यों के विधान-
मंडलों द्वारा, निर्मित
विधियों के विषय
[१]२४६. (१) खंड (२) और (३) में किसी बात के होते हुए भी संसद् को सप्तम अनुसूची की सूची (१) में (जो उस संविधान में "संघ-सूची" के नाम से निर्दिष्ट है) प्रगणित विषयों में से किसी के बारे में विधि बनाने की अनन्य शक्ति है।

(२) खंड (३) में किसी बात के होते हुए भी संसद् को, तथा खंड (१) के अधीन रहते हए, [२]*** किसी राज्य के विधानमंडल को भी, सप्तम अनसूची की सूची (३) में (जो इस संविधान में "समवर्ती-सूची" के नाम से निर्दिष्ट है) प्रगणित विषयों में से किसी के बारे में विधि बनाने की शक्ति है।

(३) खंड (१) और (२) के अधीन रहते हए [२]*** किसी राज्य के विधानमंडल को सप्तम अनुसूची की सूची (२) में (जो इस संविधान में "राज्य-सूची" के नाम से निर्दिष्ट है) प्रगणित विषयों में से किसी के बारे में ऐसे राज्य अथवा उस के किसी भाग के लिये विधि बनाने की अनन्य शक्ति है।

(४) संसद् को भारत राज्य-क्षेत्र के किसी भाग के लिये, [३][जो किसी राज्य] के अन्तर्गत नहीं है, किसी भी विषय के बारे में विधि बनाने की शक्ति है चाहे फिर वह विषय "राज्य-सूची" में प्रगणित विषय क्यों न हो।

किन्हीं अपर न्याया-
लयों की स्थापना
का उपबन्ध करने
की संसद् की शक्ति
२४७. इस अध्याय में किसी बात के होते हुए भी संसद्-निर्मित विधियों के, अथवा किसी वर्तमान विधि के, जो संघ-सूची में प्रगणित विषय के बारे में है, अधिक अच्छे प्रशासन के लिये संसद् किन्हीं अपर न्यायालयों की स्थापना का विधि द्वारा उपबन्ध कर सकेगी।

 

  1. जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू होने में अनुच्छेद २४६ में खंड (१) "खंड (२) और (३) में किसी बात के होते हुए भी" शब्द, कोष्ठक और अंक तथा "खंड (२), (३) और (४) लुप्त कर दिये जायेंगे।
  2. २.० २.१ "प्रथम अनुसूची के भाग (क) या भाग (ख) में उल्लिखित" शब्द और अक्षर संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।,
  3. संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा "जो प्रथम अनुसूची के भाग (क) या भाग (ख)" के स्थान पर रखे गये।