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भारत का संविधान


भाग ११—संघ और राज्यों के सम्बन्ध
अनु॰—२५१—२५३

अनुच्छेद २४९ और
२५० के अधीन
संसद् द्वारा निर्मित
विधियों तथा राज्यों
के विधानमंडलों
द्वारा निर्मित
विधियों में असंगति
[१]२५१. इस संविधान के अनुच्छेद २४९ और २५० की कोई बात किसी राज्य के विधानमंडल की कोई विधि बनाने की शक्ति को, जिसे इस संविधान के अधीन बनाने की शक्ति उसे है, निर्बन्धित न करेगी किन्तु यदि किसी राज्य के विधानमंडल द्वारा निर्मित विधि का कोई उपबन्ध, संसद् द्वारा निर्मित विधि के, जिसे संसद् उक्त दोनों में से किसी अनुच्छेद के अधीन बनाने की शक्ति रखती है, किसी उपबन्ध के विरुद्ध है तो, संसद् द्वारा निर्मित विधि अभिभावी होगी चाहें वह राज्य के विधानमंडल द्वारा निर्मित विधि से पहिले या पीछे पारित हुई हो तथा राज्य के विधानमंडल द्वारा निर्मित विधि विरोध की मात्रा तक प्रवर्तन-शून्य होगी किन्तु तभी तक जब तक कि संसद् द्वारा निर्मित विधि प्रभावी रहे।

 

दो या अधिक
राज्यों के लिये
उनकी सम्मति से
विधि बनाने की
संसद् की शक्ति
तथा ऐसी विधि का
दूसरे किसी राज्य
द्वारा अंगीकार
किया जाना
२५२. (१) यदि किन्हीं दो अथवा अधिक राज्यों के विधानमंडलों को यह वांछनीय प्रतीत हो कि उन विषयों में से, जिन के बारे में संसद् को अनुच्छेद २४९ और २५० में उपबन्धित रीति के अतिरिक्त, उन गज्यों के लिये विधि बनाने की शक्ति नहीं है, किसी विषय का विनियमन ऐसे राज्यों में संसद् विधि द्वारा करे तथा यदि उन राज्यों के विधानमंडलों के सब सदनों ने उस लिये संकल्पों का पारण किया है तो उस विषय का तद‍्नुकूल विनियमन करने के लिये किसी अधिनियम का पारण करना संसद् के लिये विधि संगत होगा, तथा इस प्रकार पारित कोई अधिनियम ऐसे राज्यों को लागू होगा तथा किसी अन्य राज्य को, जो तत्पश्चात अपने विधानमंडल के सदन अथवा जहां दो सदन हों, वहां दोनों सदनों में में प्रत्येक में उस लिये पारित संकल्प द्वारा उस को अंगीकार करे, लागू होगा।

(२) संसद् द्वारा इस प्रकार पारित कोई अधिनियम इसी रीति से पारित या अंगीकृत संसद् के अधिनियम से संशोधित या निरसित किया जा सकेगा, किन्तु किसी राज्य के संबंध में, जहां कि वह लागू होता है, उस राज्य के विधानमंडल के अधिनियम से संशोधित या निरसित न किया जायेगा।

 

अन्तर्राष्ट्रीय करारों
के पालनार्थ विधान
[२]२५३. इस अध्याय के पूर्वगामी उपबन्धों में से किसी बात के होते हुए भी, संसद् को किसी अन्य देश या देशों के साथ की हुई संधि, करार या अभिसमय अथवा किसी अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन, संस्था या अन्य निकाय में किये गये किसी विनिश्चय के परिपालन के लिये भारत के सम्पूर्ण राज्य-क्षेत्र या उस के किसी भाग के लिये कोई विधि बनाने की शक्ति है।

 

  1. जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू होने में अनुच्छेद २५१ में "अनुच्छेद २४९ और २५०" शब्दों और अंकों के स्थान पर "अनुच्छेद २५०" शब्द रख दिये जाएंगे, और "इस संविधान के अधीन" शब्द लुप्त कर दिये जाएंगे, और "उक्त दोनों में से किसी अनुच्छेद के अधीन" शब्दों के स्थान पर "उक्त अनुच्छेद के अधीन" शब्द रख दिये जाएंगे।
  2. जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू होने में अनुच्छेद २५३ में निम्नलिखित परन्तुक जोड़ दिया जायेगा, अर्थात्–
    "परन्तु संविधान (जम्मू और कश्मीर को लागू होना) आदेश १९५४ के आरम्भ के पश्चात् जम्मू और कश्मीर राज्य के व्ययन को प्रभावित करने वाला कोई विनिश्चय भारत सरकार द्वारा उस राज्यों की सरकार की सम्मति के बिना नहीं किया जाएगा।"