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पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/२३३

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भारत का संविधान


भाग ११—संघ और राज्यों के सम्बन्ध—
अनु॰ २५६—२५७

अध्याय २.—प्रशासन-सम्बन्ध
साधारण

संघ और राज्यों
के आभार
[]२५६. प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का इस प्रकार प्रयोग होगा, कि जिससे संसद् द्वारा निर्मित विधियों का, तथा किन्हीं वर्तमान विधियों का, जो उस राज्य में लागू हैं, पालन सुनिश्चित रहे तथा संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार किसी राज्य को ऐसे निदेश देने तक विस्तृत होगा जो कि भारत सरकार को उस प्रयोजन के लिये आवश्यक दिखाई दें।

किन्हीं अवस्थाओं
में राज्यों पर संघ
का नियंत्रण
२५७. (१) प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का इस प्रकार प्रयोग होगा कि जिस से संघ की कार्यपालिका शक्ति के प्रयोग में कोई अड़चन या प्रतिकूल प्रभाव न हो तथा संघ की, कार्यपालिका शक्ति का विस्तार किसी राज्य को ऐसे निदेश देने तक विस्तृत होगा जो भारत सरकार को उस प्रयोजन के लिये आवश्यक दिखाई दें।

(२) संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार राज्य को किसी ऐसे संचार-साधनों के निर्माण करने और बनाये रखने के लिये निदेश देने तक भी विस्तृत होगा जिनका राष्ट्रीय या सैनिक महत्व का होना उस निदेश में घोषित किया गया हो :

परन्तु इस खंड की कोई बात राज-पथों या जल-पथों को राष्ट्रीय राज-पथ या राष्ट्रीय जल-पथ घोषित करने की संसद की शक्तियों, अथवा इस प्रकार घोषित राज-पथ या जल-पथ के बारे में संघ की शक्ति को, अथवा नौ-बल, स्थल-बल, और विमान-बल कर्मशालाओं विषयक अपने कृत्यों का भाग मान कर संचार साधनों के निर्माण और बनाये रखने की संघ की शक्ति को निर्बन्धित करने वाली न मानी जायेगी।

(३) किसी राज्य में की रेलों की रक्षा के लिये किये जाने वाले उपायों के बारे में उस राज्य को निदेश देने तक भी संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार होगा।

(४) जहां खंड (२) के अधीन संचार-साधनों के निर्माण अथवा उनको बनाये रखने के बारे में अथवा खंड (३) के अधीन किसी रेल की रक्षा के लिये किये जाने वाले उपायों के बारे में, किसी राज्य को दिये गये किसी निदेश के पालन में उस से अधिक खर्च होता है जो, यदि ऐसा निदेश नहीं दिया गया होता तो, राज्य के मामूली कर्तव्यों के पालन में खर्च होता, वहां उस राज्य द्वारा किये गये अतिरिक्त खर्चों के बारे में भारत सरकार द्वारा उस राज्य को ऐसी राशि दी जायेगी जो करार पाई जाये अथवा, करार के अभाव में, जिसे भारत के मुख्य न्यायाधिपति द्वारा नियुक्त मध्यस्थ निर्धारित करे।


  1. जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू होने में अनुच्छेद २५६ को अपने खंड (१) के रूप में पुनः संख्यांकित किया जाएगा और उस में निम्नलिखित नया खंड जोड़ दिया जाएगा, अर्थात्–
    "(२) जम्मू और कश्मीर राज्य अपनी कार्यपालिका शक्ति का ऐसे प्रयोग करेगा जिस से कि उस राज्य के संबंध में संविधान के अधीन संघ के कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों का संघ द्वारा निर्वहन सुगम हो; और विशेषतया उक्त राज्य, संघ द्वारा वैसी अपेक्षा किये जाने पर, संघ की ओर से और उस के व्यय पर सम्पत्ति का अर्जन या अधिग्रहण करेगा अथवा यदि सम्पत्ति उस राज्य की है तो ऐसे निबन्धनों पर, जैसे कि करार पाये जाएं या करार के अभाव में जैसे कि भारत के मुख्य न्यायाधिपति द्वारा नियुक्त मध्यस्थ द्वारा निर्धारित किये जाएं, संघ को हस्तांतरित करेगा।"