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भारत का संविधान


भाग १२—वित्त, सम्पत्ति, संविदाएं और व्यवहार-वाद
अनु० २६०क—२६३

कुछ देवस्वम
निधियों को
वार्षिक देनगी
[१][२९०क. छियालीस लाख पचास हजार रुपये की राशि केरल राज्य की संचित निधि पर प्रत्येक वर्ष भारित होगी और उस निधि में से तिरुवांकुर देवस्वम निधि को दी जायेगी, और तेरह लाख पचास हजार रुपये की राशि मद्रास राज्य की संचित निधि पर प्रत्येक वर्ष भारित होगी और उस निधि से तिरुवांकूर कोचीन राज्य से १९५६ के नवम्बर के प्रथम दिन उस राज्य को मक्रांत राज्य-क्षेत्रों में के हिन्दू मंदिरों और पवित्र स्थानों के पोषण के लिए उस राज्य में स्थापित देवस्वम निधि को दी जायेगी।

शासकों की निजी
थैली की राशि
[२]२९१. [३]* * * इस संविधान के प्रारम्भ से पहिले जहां किसी देशी राज्य के शासक द्वारा की गई किसी प्रसंविदा या करार के अधीन ऐसे राज्य के शासक को निजी थैली के रूप में किन्हीं राशियों की कर मुक्त देनगी भारत डोमीनियन की सरकार द्वारा प्रत्याभूत या आश्वासित की गई है वहां—

(क) वैसी राशियां भारत की संचित निधि पर भारित होंगी तथा उस से दी जायेंगी; तथा
(ख) किसी शासक को दी गई वैसी राशियां, सभी आय पर करों से विमुक्त होंगी।

[४]*

अध्याय २—उधार लेना

भारत सरकार
द्वारा उधार लेना
२९२. भारत की संचित निधि की प्रतिभति पर ऐसी सीमाओं के भीतर, यदि कोई हों, जिन्हें संसद् समय समय पर विधि द्वारा नियत करे, उधार लेने तक तथा ऐसी सीमाओं के भीतर, यदि कोई हों, जिन्हें इस प्रकार नियत किया जाये, प्रत्याभूति देने तक, संघ की कार्यपालिका शक्ति विस्तृत है।

राज्यों द्वारा उधार
लेना
२९३. (१) इस अनुच्छेद के उपबन्धों के अधीन रहते हुए राज्य की कार्य-पालिका शक्ति, उस राज्य की संचित निधि की प्रतिभूति पर, ऐसी सीमाओं के लेना भीतर, यदि कोई हों, जिन्हें ऐसे राज्य का विधानमंडल समय समय पर विधि द्वारा नियत करे, भारत राज्य-क्षेत्र के भीतर उधार लेने तक तथा ऐसी सीमाओं के भीतर, यदि कोई हों, जिन्हें इस प्रकार नियत किया जाये, प्रत्याभूति देने तक विस्तृत है।

(२) भारत सरकार ऐसी शर्तों के साथ, जैसी कि संसद् द्वारा निर्मित किसी विधि के द्वारा या अधीन रखी जायें, किसी राज्य को उधार दे सकेगी, अथवा जहां तक इस संविधान के अनुच्छेद २९२ के अनुसार निमत किन्हीं सीमाओं का उलँघन न होता हो वहां तक ऐसे किसी राज्य के द्वारा लिये गये उधारो के बारे में प्रत्याभूति दे सकेगी तथा, जो राशियां ऐसे उधार देने के प्रयोजन के लिये आवश्यक हों, वे भारत की संचित निधि पर भारित होंगी।


  1. संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा १९ द्वारा अन्तःस्थापित।
  2. अनुच्छेद २९१ जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू न होगा।
  3. कोष्ठक और अंक "१" संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।
  4. खंड (२) उपरोक्त के ही द्वारा लुप्त कर दिया गया।