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भारत का संविधान

 

भाग १५—निर्वाचन—अनु॰ ३२५—३२९

धर्म, मूलवंश, जाति
या लिंग के आधार
पर कोई व्यक्ति
निर्वाचक नामावलि
में सम्मिलित किये
जाने के लिये अपात्र
न होगा तथा किसी
विशेष निर्वाचक-
नामावलि में सम्मि
लित किये जाने का
दावा न करेगा

[१]३२५. संसद् के प्रत्येक सदन अथवा किसी राज्य के विधानमंडल के सदन या प्रत्येक सदन के लिये निर्वाचन के हेतु प्रत्येक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के लिये एक साधारण निर्वाचक नामावलि होगी तथा केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या इन में से किसी के आधार पर कोई व्यक्ति ऐसी किसी नामावलि में सम्मिलित किये जाने के लिये अपात्र न होगा अथवा ऐसे किसी निर्वाचन क्षेत्र के लिये किसी विशेष निर्वाचक-नामावलि में सम्मिलित किये जाने का दावा न करेगा।

लोक-सभा और
राज्यों की विधान
सभाओं के लिये
निर्वाचन का
वयस्क मताधिकार
के आधार पर होना

[१]३२६. लोक-सभा तथा प्रत्येक राज्य की विधान सभा के लिये निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे, अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति जो भारत का नागरिक है तथा जो ऐसी तारीख पर, जैसी कि समुचित विधानमंडल द्वारा निर्मित किसी विधि के द्वारा या अधीन इसलिये नियत की गई हो, इक्कीस वर्ष की अवस्था से कम नहीं है, तथा इस संविधान अथवा समुचित विधानमंडल द्वारा निर्मित किसी विधि के अधीन अनिवास, चित्त-विकृति, अपराध अथवा भ्रष्ट या अवैध आचार के आधार पर अनर्ह नहीं कर दिया गया है, ऐसे किसी निर्वाचन में मतदाता के रूप में पंजीबद्ध होने का हक्कदार होगा।

विधानमंडलों के
लिये निर्वाचनों के
विषय में उपबन्ध
बनाने की संसद् की
शक्ति

[१]३२७. इस संविधान के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, संसद्, समय समय पर विधि द्वारा संसद् के प्रत्येक सदन अथवा किसी राज्य के विधानमंडल के सदन या प्रत्येक सदन के लिये निर्वाचनों से सम्बद्ध या संसक्त सब विषयों के संबंध में जिन के अन्तर्गत निर्वाचक नामावलियों का तैयार कराना तथा निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन तथा ऐसे सदन या सदनों का सम्यक् गठन कराने के लिये अन्य सब आवश्यक विषय भी हैं, उपबन्ध कर सकेगी।

किसी राज्य के
विधानमंडल की
ऐसे विधानमंडल के
लिये निर्वाचनों के
सम्बन्ध में उपबन्ध
बनाने की शक्ति

[१]३२८. इस संविधान के उपबन्धों के अधीन रहते हुए तथा जहां तक संसद् इसलिये उपबन्ध नहीं बनाती वहां तक, किसी राज्य का विधानमंडल, समय समय पर, विधि द्वारा, उस राज्य के विधानमंडल के सदन या प्रत्येक सदन के लिये निर्वाचनों से सम्बद्ध या संसक्त सब विषयों के संबंध में, जिन के अन्तर्गत निर्वाचक नामावलियों का तैयार कराना तथा ऐसे सदन या सदनों का सम्यक् गठन कराने के लिये अन्य सब आवश्यक विषय भी हैं, उपबन्ध कर सकेगा।

निर्वाचन विषयों
न्यायालयों के हस्तक्षेप पर रोक

[१]३२९. इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी—

(क) अनुच्छेद ३२७ या अनुच्छेद ३२८ के अधीन निर्मित या निर्मात्मभिप्रेत किसी विधि की, जो निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन या ऐसे निर्वाचित क्षेत्रों को स्थानों के बांटने से सम्बद्ध है, मान्यता पर किसी न्यायालय में आपत्ति न की जायेगी;
(ख) संसद् के प्रत्येक सदन अथवा किसी राज्य के विधानमंडल के सदन या प्रत्येक सदन के किसी निर्वाचन पर ऐसी निर्वाचन याचिक के बिना कोई आपत्ति न की जायेगी जो ऐसे अधिकारी को तथा ऐसी रीति से उपस्थित की गई है जो समुचित विधानमंडल द्वारा निर्मित विधि के द्वारा या अधीन उपबन्धित है।