पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/२९

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अनुच्छेद पृष्ठ संख्या
२४८ प्रवशिष्ट विधान-शक्तियाँ ९२
२४९ राष्ट्रीय हित में राज्य-सूची में के विषय के बारे में विधि बनाने की संसद् की शक्ति
९२
२५० यदि आपात की उद्घोषणा प्रवर्त्तन में हो तो राज्य-सूची में के विषयों के बारे में विधि बनाने की संसद् की शक्ति
९२
२५१ अनुच्छेद २४९ और २५० के अधीन संसद् द्वारा निर्मित विधियों तथा राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा निर्मित विधियों में असंगति
९३
२५२ दो या अधिक राज्यों के लिये उनकी सम्मति से विधि बनाने की संसद् को शक्ति तथा ऐसी विधि का दूसरे किसी राज्य द्वारा अंगीकार किया जाना
९३
२५३ अन्तर्राष्ट्रीय करारों के पालनार्थ विधान ९३
२५४ संसद् द्वारा निर्मित विधियों और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा निर्मित विधियों में असंगति
९४
२५५ सिपारिशों और पूर्व मंजूरी की अपेक्षाओं को केवल प्रक्रिया का विषय मानना
९४

अध्याय २—प्रशासन-सम्बन्ध
साधारण

२५६ संघ और राज्यों के आभार ९५
२५७ किन्हीं अवस्थानों में राज्यों पर संघ का नियंत्रण ९५
२५८ कतिपय अवस्थाओं में राज्यों को शक्ति आदि देने की संघ की शक्ति
९६
२५८क संघ को कृत्य सौंपने की राज्यों की शक्ति ९६
२५९ [निरसित] ९६
२६० भारत के बाहर के राज्य-क्षेत्रों के सम्बन्ध में संघ का क्षेत्राधिकार
९६
२६१ सार्वजनिक क्रिया, अभिलेख और न्यायिक कार्यवाहियाँ ९६

जल सम्बन्धी विवाद

२६२ अन्तर्राज्यिक नदियों या नदी-दूनों के जल सम्बन्धी वादों का न्यायनिर्णयन
९७

राज्यों के बीच समन्वय

२६३ अन्तर्राज्यिक परिषद् विषयक उपबन्ध ९७

भाग १२
वित्त सम्पत्ति, संविदाएँ और व्यवहार-वाद
अध्याय १—वित्त
साधारण

२६४ निर्वचन ९८
२६५ विधि-प्राधिकार के सिवाय करों का आरोपण न करना ९८
२६६ भारत और राज्यों की संचित निधियाँ और लोक-लेखे ९८
२६७ आकस्मिकता-निधि ९८

3—1 Law/57